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रमज़ान के महीने में खाने और पीने में अपव्यय करना

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1839 2013/07/22 2024/04/20
उस आदमी के बारे में आपका विचार क्या है जो रमज़ान में अधिक मात्रा में अनेक प्राकर के खाने और मिठाईयाँ खाता है ॽ



हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह के लिए योग्य है।

अपव्यय और फिज़ूलखर्ची करना हर चीज़ में घृर्णित और निषिद्ध है, विशेषकर खाने और पीने में। अल्लाह तआला का फरमान है :

﴿ وَكُلُوا وَاشْرَبُوا وَلا تُسْرِفُوا إِنَّهُ لا يُحِبُّ الْمُسْرِفِينَ ﴾ [الأعراف : 31]

“खाओ-पियो और फिज़ूलख़र्ची न करो, बेशक अल्लाह तआला फिज़ूलख़र्ची (इस्राफ) करने वालों से महब्बत नहीं करता।” (सूरतुल आराफ : 31)

तथा नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : “किसी आदमी ने पेट से बुरा कोई बर्तन नहीं भरा, इब्ने आदम के लिए कुछ लुक़मे काफी हैं जो उसकी पीठ को सीधी रखें, यदि आवश्यक ही है तो एक तिहाई उसके खाने के लिए, एक तिहाई उसके पानी के लिए और एक तिहाई उसके साँस लेने के लिए होना चाहिए।” इसे तिर्मिज़ी (हदीस संख्या : 2380) और इब्ने माजा (हदीस संख्या : 3349) ने रिवायत किया है, तथा अल्बानी ने सहीह तिर्मिज़ी (हदीस संख्या : 1939) में इसे सहीह कहा है।

खाने और पीने में अपव्यय करने में बहुत सी खराबियाँ हैं :

उन्हीं में से एक यह है कि : मनुष्य दुनिया में जितना ही पवित्र और हलाल चीज़ों का आनंद लेता है, परलोक में उसका हिस्सा कम हो जाता है।

हाकिम ने अबू जुहैफा रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत किया है कि उन्हों ने कहा : अल्लाह के पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : “दुनिया में सबसे अधिक शिकम सेर (उदर पूर्ण) रहने वाले लोग क़ियामत के दिन सबसे अधिक भूखे होंगे।” और इब्ने अबिद्दुन्या ने इसे रिवायत करके इतनी वृद्धि की है : “चुनाँचे अबू जुहैफा ने पेट भर खाना नहीं खाया यहाँ तक कि दुनिया से चल बसे।” अल्बानी ने इसे अस्सिलसिला अस्सहीहा (हदीस संख्या : 342) में सहीह कहा है।

तथा उमर रज़ियल्लाहु अन्हु ने फरमाया : अल्लाह की क़सम ! यदि मैं चाहूँ तो तुम में सबसे अधिक नरम कपड़े पहनने वाला, तुम में सबसे अच्छा खाना खाने वाला, तुम में सबसे अधिक मनोरम आजीविका वाला होता, किंतु मैं ने अल्लाह सर्वशक्तिमान को सुना है कि उसने एक जाति की उनके एक कृत्य पर निंदा की है, अल्लाह ने फरमाया:

﴿ أَذْهَبْتُمْ طَيِّبَاتِكُمْ فِي حَيَاتِكُمُ الدُّنْيَا وَاسْتَمْتَعْتُمْ بِهَا فَالْيَوْمَ تُجْزَوْنَ عَذَابَ الْهُونِ بِمَا كُنْتُمْ تَسْتَكْبِرُونَ فِي الأَرْضِ بِغَيْرِ الْحَقِّ وَبِمَا كُنْتُمْ تَفْسُقُونَ ﴾ [الأحقاف: 20 ]

‘‘ (कहा जायेगा कि) तुम अपनी अच्छी चीज़ों के दुनिया के जीवन ही में आनंद ले चुके और उनसे भरपूर लाभ उठाया, तो आज तुम्हें अपमान के अज़ाब का दण्ड दिया जायेगा, इस वजह से कि तुम धरती पर नाहक़ घमण्ड किया करते थे और इस वजह से भी कि तुम आदेश का पालन नहीं करते थे।” (सूरतुल अह़क़ाफ : 20)

हिल्यतुल औलिया (1/49).

उन्हीं में से एक यह है कि : इसके कारण मनुष्य बहुत सी नेकियों के करने से गाफिल हो जाता है, जैसे - क़ुर्आन की तिलावत जो कि इस महीने में मुसलमान का सबसे महत्वपूर्ण व्यवसाय होना चाहिए, जैसाकि पूर्वजों की आदत थी।

चुनाँचे हम देखते हैं कि औरत दिन का एक बड़ा हिस्सा खाना तैयार करने में और रात का एक बड़ा भाग मिठाईयाँ और शर्बत बनान में गुज़ारती है।

उन्हीं में से एक यह है कि : मनुष्य जब अधिक खाना खाता है तो उसे आलस्य घेर लेती है और वह अधिक सोता है, इस तरह वह अपने समय को नष्ट कर देता है।

सुफ्यान सौरी रहिमहुल्लाह - अल्लाह उन पर दया करे - ने फरमाया : यदि आप चाहते हैं कि आपका शरीर स्वस्थ रहे और आपकी नींद कम हो जाए तो आप खाना कम कर दें।

उन्हीं में से एक यह है कि : बहुत अधिक खाना दिल को गाफिल (असावधान) बना देता है।

इमाम अहमद रहिमहुल्लाह से कहा गया : क्या आदमी अपने दिल में विनम्रता (रिक़्क़त और नर्मी) महसूस करता जबकि उसका पेट भरा हुआ हो ॽ उन्हों ने कहा : मैं नहीं समझता। अर्थात् मैं नहीं समझता कि ऐसा होता है।

और अल्लाह तआला ही सर्वश्रेष्ठ ज्ञान रखता है।
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