खुशू व ख़ुज़ू और सजदह की जगह पर देखनाः 41- नमाज़ी के लिए ज़रूरी है कि अपनी नमाज़ को खुशू (नम्रता और विनय) के साथ अदा करे और उस से ग़ाफिल कर देने वाली सभी चीजों जैसे श्रृंगार और बेल बूटे से दूर रहे, अतः ऐसे खाने की मौजूदगी में नमाज़ न पढ़े जिसे खाने की वह खाहिश रखता है, और न ही ऐसी अवस्था में नमाज़ पढ़े कि उसे पेशाब या पाखाना की सख्त हाजत हो। 42- और अपने क़ियाम (खड़े होने) की हालत में अपने सजदह करने की जगह पर निगाह रखे। 43- और वह नमाज़ मे इधर उधर (दायें और बायें) न मुड़े, क्योंकि इधर उधर मुड़ना एक प्रकार का झपटना है जिसे शैतान बन्दे की नमाज़ से झपट लेता है। 44- और नमाज़ी के लिए अपनी निगाह को आसमान की तरफ उठाना जाइज़ नहीं है।