छठाः रुकूअ़ का बयानः 69- जब नमाज़ी क़िराअत से फारिग़ हो जाये, तो सांस लेने भर की मात्रा में एक सक्ता करे (अर्थात खामोश रहे)। 70- फिर तकबीरतुल एहराम में वर्णित तरीक़ों के अनुसार अपने दोनों हाथों को उठाये। 71- और अल्लाहु अकबर कहे, और यह वाजिब है। 72- फिर इस मात्रा में रुकू करे कि उस के जोड़ अपनी जगह पर ठहर जायें और हर अंग अपनी जगह पर पहुँच जाये, और यह नमाज़ का एक रुक्न है।