रुकू से सीधा होनाः 80- फिर रुकू से अपनी पीठ को ऊपर उठाये, और यह नमाज़ का एक रुक्न है। 81- और रुकू से सीधा खड़ा होने के दौरान "समिअल्लाहु लिमन हमिदह" कहे, और यह वाजिब है। 82- और रुकू से सीधा होते समय पीछे वर्णित तरीक़ों के अनुसार अपने दोनों हाथों को उठाये। 83- फिर बिल्कुल सीधा इतमिनान के साथ खड़ा हो जाये यहाँ तक कि हर हड्डी अपनी जगह पर पहुँच जाये, और यह नमाज़ का एक रुक्न है। 84- और इस क़ियाम में "रब्बना व लकल हम्द" कहे। (और इस के अलावा अन्य अज़कार भी हैं जिन्हें इस रुक्न में पढ़ा जाता है, अतः "सिफतुस्सलात" नामी किताब के पेज न0 135 का अध्ययन करें)। और यह सभी नमाज़ियों पर वाजिब है, चाहे वह मुक़तदी ही क्यों न हो, क्योंकि यह क़ियाम (रुकू के बाद खड़े होने) का विर्द (जप) है, और "समिअल्लाहु लिमन हमिदह" रुकू से सीधा होने का विर्द (जप) है, और इस क़ियाम में दोनों हाथों को एक दूसरे पर रखना धर्म संगत नहीं है क्योंकि यह नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से वर्णित नहीं है, यदि आप इस संबंध में विस्तृत जानकरी चाहते हैं तो असल किताब "सिफतो सलातिन्नबी 1- क़िब्ला की ओर मुँह करना" देखिये)। 85- और इस क़ियाम और रुकू के बीच लम्बाई में बराबरी करे, जैसा कि पहले गुज़र चुका है।