- अज़ान से 15 मिनट पहले घर वापस लौटें और वुज़ू करें l -शाम को पढ़ी जानी वाली दुआएं और ज़िक्र पढ़ें और अधिक अधिक अल्लाह सर्वशक्तिमान कि महिमा करें, उसकी पवित्रता बयान करें, और इस समय उस से ज़ियादा माफ़ी मांगें l अल्लाह सर्वशक्तिमान फरमाता है : فَاصْبِرْ عَلَى مَا يَقُولُونَ وَسَبِّحْ بِحَمْدِ رَبِّكَ قَبْلَ طُلُوعِ الشَّمْسِ وَقَبْلَ الْغُرُوبِ(سورة ق:39) (अतः जो कुछ वे कहते हैं उसपर धैर्य से काम लो और अपने रब की प्रशंसा की तस्बीह करो ; सूर्योदय से पूर्व और सूर्यास्त से पूर्व l) (सूरह क़ाफ़ : ३९) -रोज़ा खोलने के समय की दुआ रद्द नहीं होती है l इसलिए इस क़ीमती समय का फायदा उठाने में सुस्ती मत कीजिये l -मग़रिब की नमाज़ से पहले रोज़ादारों के रोज़ा खोलने की चीज़ों को तैयार करने में भाग लेना मत भूलिए क्योंकि जो एक रोज़ादार को इफ्तार कराता है तो उसे रोज़ादार के बराबर पुण्य मिलता है l प्रयास कीजिए कि प्रत्येक दिन किसी न किसी को इफ्तार करा सकें l * स्त्री का अस्र के बाद का जो समय भोजन तैयार करने में लगता है उस पर उसे पुण्य प्राप्त होता है l क्योंकि किसी भी जीवित वस्तु को खिलाने पर पुण्य मिलता है तो मनुष्य को खिलाने पर तो और अधिक पुण्य प्राप्त होना चाहिए l फिर स्त्री भोजन की तैयारी के समय भी दुआ और ज़िक्र कर सकती है l और हज़रत पैगंबर -उन पर इश्वर की कृपा और सलाम हो- पर दुरूद पढ़ सकती है l इसी तरह वह ज़िक्र और दुआ की कैसिट भी सुन सकती है या शुभ क़ुरआन सन सकती है l और यह सब के सब इबादत के काम हैं l