- उसके तुरंत बाद घर वापिस हो जाएं और भोजन करें l और यदि हम हज़रत पैगंबर -उन पर इश्वर की कृपा और सलाम हो- की सुन्नत का अनुसरण करना चाहें तो खाना छोटी मात्रा में खाएं l हज़रत पैगंबर -उन पर इश्वर की कृपा और सलाम हो- ने फरमाया : "ما ملأ ابن آدم وعاءً شرًّا من بطنه، بحسب ابن آدم لقيمات يقمن صلبه، فإن كان لا محالة فثلث لطعامه، وثلث لشرابه، وثلث لنفسه". (आदम के पुत्र (मनुष्य) अपने पेट से बढ़ कर बुरा कोई बरतन नहीं भरा, आदम के पुत्र को कुछ छोटे छोटे लुक़में काफ़ी है जो उसकी पीठ को सीधी रख सके, और यदि कोई चारा न हो (यानी और खाना चाहते हैं) तो (पेट) का तीसरा भाग अपने खाने के लिए और तीसरा भाग अपने पीने के लिए और तीसरा भाग अपनी सांस के लिए (रखें)l) इसे इमाम अहमद ने उल्लेख किया , देखिए हदीस नंबर [४१३२] और अलबानी ने इसे प्रमाणित कहा है l देखिए सहीह अल जामेअ हदीस नंबर [५६७४] l - बाक़ी समय को अच्छे कर्मों के अन्य प्रकार को करने में ख़र्च करें जैसे:अपने रिश्तेदारों के साथ मेलजोल और उनकी सहायता करें, या शुभ क़ुरआन की व्याख्या को पढ़ें या हज़रत पैगंबर -उन पर इश्वर की कृपा और सलाम हो- की पवित्र जीवनी को पढ़ें , या ज्ञान से संबंधित कोई काम करें या अल्लाह की ओर लोगों को आमंत्रित करें या बीमार लोगों से मिल कर उनकी सहायता करें और उनको तसल्ली देने में समय बिताएं या ग़रीबों और बेचारे लोगों की सहायता का प्रयास करें या किसी दुआ और ज़िक्र और उपदेश की बैठक में भाग लें l -सब समय अल्लाह को अधिक से अधिक याद करें, मस्जिद से घर और घर से मस्जिद को आते जाते समय अल्लाह का ज़िक्र करें l आप प्रत्येक समय और प्रत्येक अवसर को चाहे घर से निकल रहे हों या घर को वापिस लौट रहे हों या कपड़े बदल रहे हों अल्लाह सर्वशक्तिमान का ज़िक्र किया करें इसी प्रकार सोने जागने की दुआ पढ़ा करें l (इस विषय में अधिक जानकारी के लिए “हिस्नुल मुस्लिम” नामी पुस्तक देखिये l