मिस्वाक: मिस्वाक करने के बहुत सारे अवसर हैं, और एक मुसलमान दिन और रात में कई बार मिस्वाक का प्रयोग करता है. हज़रत पैगंबर-उन पर इश्वर की कृपाऔर सलाम हो- ने कहा:( यदि मैं अपनी जनता पर कठिन न समझता तो मैं उन्हें प्रत्येक वुज़ू के समय मिस्वाक का आदेश दे देता) इसे बुखारी और मुस्लिम ने उल्लेख किया. रात और दिन में एक मुसलमान के मिस्वाक करने की कुल संख्या बीस बार से कम नहीं होती है. क्योंकि पांच नमाज़ों केलिए तो मिस्वाक करता है इसी तरह निश्चित सुन्नतों के समय, और ज़ुहा की नमाज़ केलिए, और वितर नमाज़ केलिए, और घर में प्रवेश करते समय, क्योंकि हज़रत पैगंबर-उन पर इश्वर की कृपाऔर सलाम हो-जब घर में प्रवेश करते थे तो सब से पहला काम जो शुरू करते थे वह यही था की मिस्वाक करते थे, जैसा कि हज़रत आइशा-अल्लाह उनसे खुश रहे-ने इसकी खबर दी है. और जैसा कि इमाम मुस्लिम की "सहीह" नामक पुस्तक में उल्लेखित है. इसलिए जब भी आप घर में प्रवेश करते हैं तो मिस्वाक से ही शुरू कीजिए ताकि आपका अमल सुन्नत के अनुसार होजाए. और पवित्र कुरान को पढ़ते समय, और मुंह में गंध उठ जाने के समय, और नींद से उठने के समय, और वुज़ू करते समय भी मिस्वाक का प्रयोग किया करें, क्योंकि हज़रत पैगंबर-उन पर इश्वर की कृपाऔर सलाम हो- ने कहा कि:(मिस्वाक मुंह को बहुत पवित्र करने वाला और पालनहार को संतुष्ट करने वाला है.) इमाम अहमद ने इसे उल्लेख किया है. इस सुन्नत पर अमल करने के परिणाम: क) इस के माध्यम से पालनहार सर्वशक्तिमान की संतुष्टि प्राप्त होती है. ख) मुँह को पवित्रता मिलती है.