वितर और उसकी सुन्नतें: १-जो व्यक्ति तीन रकअत वितर पढ़े तो उसके लिए सुन्नत यह है कि पहली रकअत में सूरे-फातिहा पढ़ने के बाद सूरह "सब्बिहिसमा रब्बिकल अअला" पढ़े और दूसरी रकअत में" क़ुल या ऐययुहल-काफिरून" पढ़े, और तीसरी रकअत में" क़ुल हु वल्लाहु अहद " पढ़े. जैसा कि अबू-दाऊद, तिरमिज़ी, इब्ने-माजा और नसाई ने उल्लेख किया है. २ – जब वितर की तीन रकअत पढ़कर सलाम फेर ले तो तीन बार यह पढ़े: ) سبحان الملك القدوس ( (सुबहानल-मलिकिल-क़ुद्दुस) (पवित्रता हो अत्यंत पवित्र मालिक के लिए) और तीसरी बार इसे ज़रा ज़ोर से और खींच कर पढ़े और उसके साथ इस शब्द को बढ़ाए: ) رب الملائكة والروح ( (रब्बल-मलाइकते वर-रूह) हे फरिश्तों और आत्मा का मालिक!. इसे अरनाऊत नामक विद्वान ने विश्वसनीय बताया, अबू-दावूद और नसाई ने इसे उल्लेख किया है.