प्रत्येक कामों के समय इरादा को शुद्ध रखना चाहिए: ज्ञात हो!- अल्लाह आपको अच्छा रखे-कि सारे वैध काम जो आप करते हैं जैसे: सोना, खाना और रोज़ी कमाने का प्रयास इत्यादि सब के सब को इबादत, फर्माबरदारी और पुण्य का काम बना सकते हैं, जिनके बदले में आपको हज़ारों पुण्य प्राप्त होंगे, बस शर्त यह है कि एक व्यक्ति अपने दिल में इन कामों को करते समय अल्लाह की इबादत का इरादा रखे, क्योंकि हज़रत पैगंबर -उन पर इश्वर की कृपाऔर सलाम हो-ने कहा: "कामों की निर्भरता तो इरादों पर है, और आदमी के लिए तो वही है जिसकी वह निय्यत रखता है l" इसे इमाम बुखारी और मुस्लिम ने उल्लेख किया l * उदाहरण: यदि एक मुसलमान व्यक्ति इस इरादे से जल्दी सोता है कि रात में नमाज़ केलिए अथवा फ़जर की नमाज़ के लिए जाग जाए तो उसका सोना भी इबादत हो जाता है lइसी तरह अन्य वैध कामों को भी समझ लीजिए l