1. सामग्री
  2. पैगंबर मुह़म्मद (सल्लल्ललाहु अलैहि व सल्लम ) का व्यक्तित्व
  3. पैगंबर मुह़म्मद (सल्लल्ललाहु अलैहि व सल्लम) मृदु हृदय वाले साथी थे

पैगंबर मुह़म्मद (सल्लल्ललाहु अलैहि व सल्लम) मृदु हृदय वाले साथी थे

किसी ऐसे व्यक्ति के प्रति आपकी प्रतिक्रिया क्या होगी जो किसी ऐसी चीज़ का अपमान करे जो आप के लिए वास्तव में बहुत ज़्यादा महत्वपूर्ण है और जिसे आप बहुत प्यार करते हैं?

यदि आप एक धार्मिक व्यक्ति हैं और कोई व्यक्ति आकर आपकी पूजा की जगह को बेरहमी और बुरी तरह से से गंदा करदे , तो आपकी प्रतिक्रिया क्या होगी ?

इसमें कोई संदेह नहीं है कि आप क्रोध करेंगे और सीधे उसे दंड के लिए दौड़ेंगे। लेकिन पैगंबर मुह़म्मद (सल्लल्ललाहु अलैहि व सल्लम) ने ऐसा नहीं किया।

क्योंकि वह जल्दी की प्रतिक्रियाओं में विश्वास नहीं रखते थे।और उन्हें अपनी प्रतिक्रियाओं पर पूर्ण नियंत्रण था। क्योंकि वह किसी भी कार्य को करने से पहले बुद्धिमत्ता व समझदारी से निर्णय लेते थे।निम्नलिखित कहानी यह सिद्ध करती है कि वह हर घटना का इलाज बड़ी चौकसी व होशियारी और दूरदर्शिता से करते थे।

दिहात से एक व्यक्ति आया, जिसका उस नए शहर (मदीना) से कोई संपर्क नहीं था, जिसे मुह़म्मद  (सल्लल्ललाहु अलैहि व सल्लम) ने अपने अनुयायियों के बीच अपनी नई नई राजधानी में बनाया था।

इस दिहाती ने सभ्य शहर मदीना के लोगों के लिए बहुत ही अजीब व्यवहार किया।


आप जानते हैं कि वह अजीब काम और व्यवहार क्या था?

हां,वास्तव में  सबसे अजीब व्यवहारों में से एक यह है कि कोई व्यक्ति एक सार्वजनिक और सम्मानित स्थान पर आकर सबके सामने पेशाब करे।

यही इस दिहाती व्यक्ति ने किया था; अताः उसने मुह़म्मद (सल्लल्ललाहु अलैहि व सल्लम) और उनके अनुयायियों के सामने मस्जिद में जो उनके लिए सबसे पवित्र जगह थी पेशाब कर दिया।

यह एक भयानक दृश्य था पैगंबर मुह़म्मद (सल्लल्ललाहु अलैहि व सल्लम )के अनुयायिय खुद को नियंत्रित नहीं कर सके और वे उसे उसके उस बुरे व्यवहार से रोकने के लिए ज़ोर से चिल्लाए।

भले ही इस तरह की घटना में केवल कुछ ही सेकंड लगे, लेकिन मुह़म्मद (सल्लल्ललाहु अलैहि व सल्लम) ने इसमें भी अपनी बुद्धि से काम लिया। अतः वह इन्हीं कुछ पलों में उस दिहाती की फित़रत को पहचान लिया जिसने उनकी ई़बादत करने और उनके राज्य के काम होने की जगह पैशाब कर दिया था। और उनकी बुद्धि ने उन्हें बता दिया था कि वह अनपढ़ है और उसका यह कार्य किसी दुश्मनी के कारण नहीं है।

बल्कि उसका यह कार्य स्वच्छता, सफ़ाई और शालीनता की उस संस्कृति से पिछड़ेपन का परीणाम है जो कि मुह़म्मद (सल्लल्ललाहु अलैहि व सल्लम)ने अपनी राजधानी (शहर मदीना ) में स्थापित की थी।

इसलिए उन्होंने ने अनुयायियों को आदेश दिया कि वे उस दिहाती को डांटें ना और उस पर सख़्ती ना करें।

और जब वह पैशाब करके समाप् हो गया तो मुह़म्मद (सल्लल्ललाहु अलैहि व सल्लम) ख़ुद उसके पास आए और उसके साथ प्यार और नरमी से बात की और उस कहा कि यह पैशाब करने की जगह नहीं है।

अतः वह दिहाती व्यक्ति मुह़म्मद (सल्लल्ललाहु अलैहि व सल्लम) की अच्छी शिक्षा, उनके अच्छे व्यवहार और उनकी सूंदर नैतिकता से बहुत प्रसन्न हुआ, और कहा :

" ऐ अल्लाह! मुझ पर और मुह़म्मद पर दया(रह़म) कर, और हमारे साथ किसी अन्य पर दया मत कर। "

 

Previous article Next article

Articles in the same category

पैगंबर हज़रत मुहम्मद के समर्थन की वेबसाइटIt's a beautiful day