एक मुस्लिम पति अपनी पत्नी के साथ सम्भोग करने के बाद जब दोबारा करना चाहे तो उसके लिए मुस्तह़ब (यानी बेहतर)है कि वह पहले वुज़ू करले। ताकि वह दोबारा चुस्त हो जाए, उसके अन्दर शक्ति व ताकत इकठ्ठा हो जाए और उसका मूंड बेहतर हो जाए। अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम इरशाद फ़रमाते हैं: " जब तुम में से कोई अपनी पत्नी के पास आए और फिर दोबारा आना की इच्छा करे तो वह उनके बीच में वुज़ू करले।" और एक दूसरी रिवायत में है: " क्योंकि यह (यानी वुज़ू) वापसी में उसे चुस्त (मज़बूत) करेगा।" ([1]) " जब तुम में से कोई अपनी पत्नी के पास आए।" इसका मतलब है कि जब तुम तुम से कोई अपनी पत्नी के साथ सम्भोग (सेक्स ) करे। " फिर दोबारा आना की इच्छा करे।" यानी अगर दोबारा सम्भोग करना चाहे। " उनके बीच में वुज़ू करले।" यानी उन दो सम्भोगों के बीच में वुज़ू करले। और पूरा वुज़ू करे जैसे कि नमाज़ के लिए करता है। क्योंकि यह (यानी वुज़ू) वापसी में उसे चुस्त करेगा। " इसका मतलब है कि दोबारा सम्भोग करने में वुज़ू उसे ज़्यादा चुस्त व शक्ति शाली औ मज़बूत बना देगा और उसकी खूब सहायता व मदद करेगा। और फिर वुज़ू करने से उसकी नापाकी भी कम हो जाएगी। क्योंकि वुज़ू करने से कम से कम वुज़ू अंगों से तो नापाकी खत्म हो जाएगी। और दो प्रकार की पाकियों (यानी छोटी पाकी जो वुज़ू से होती है औ दूसरी बड़ी पाकी जो गुस्ल करने (नहाने) से होती है) में से एक पाकी की हालत में सोएगा। क्योंकि हो सकता है कि वह सोते हुए ही मर जाए। (तो कम से कम एक पाकी की हालत में मरेगा) और इसी से यह भी लिया गया है कि महिला के लिए भी (दो सम्भोगों के बीच में) वुज़ू करना सुन्नत है। वुज़ू किये बिना दूसरी बार सम्भोग करना मकरूह (ना पंसद) है। ([1]) यह ह़दीस़ सही़ह़ है, ईमाम मुस्लिम ने (308), अबु दाऊद ने (220), तिरमिज़ी ने (141),इब्ने माजह ने (517) और बईहक़ी ने अपनी किताब ” सुनने कुबरा “(1/203) (7/192) में इसे वर्णित किया है।