अपने दोनों हाथों के सहारे सज्दे में गिरनाः 88- फिर अपने दोनों हाथों के सहारे सज्दे में गिर जाये, अपने दोनों हाथों को दोनों घुटनों से पहले (ज़मीन पर) रखे, अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने इसी का हुक्म दिया है, और आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की करनी से ऐसा ही साबित है, और आप ने ऊंट के बैठने की तरह बैठने से मना फरमाया है। और ऊंट की बैठक यह है कि वह अपने दोनों घुटनों के सहारे बैठता है जो कि उस के दोनों अगले कदमों में होता हैं। 89- और जब सज्दा करे (और यह नमाज़ का एक रुक्न है) तो अपनी दोनों हथेलियों का सहारा ले और उन दोनों को जमीन पर बिछा दे (फैला कर रखे)। 90- और दोनों हाथों की अंगुलियों को आपस में मिला कर रखे। 91- और उन को क़िब्ला की ओर रखे। 92- और अपनी दोनों हथेलियों को अपने दोनों मोंढों के बराबर में रखे। 93- और कभी कभार उन दोनों (हथेलियों) को अपने दोनों कानों के बराबर में रखे। 94- और लाज़मी (अनिवार्य) तौर पर अपने दोनों बाज़ुओं को ज़मीन से ऊपर उठाये रखे और उन दोनों को कुत्ते की तरह न फैलाये (बिछाये)। 95- और अपनी नाक एवं पेशानी को ज़मीन पर टिका दे, और यह नमाज़ का एक रुक्न है। 96- और अपने दोनों घुटनों को भी ज़मीन पर टेक दे। 97- और इसी प्रकार अपने दोनों कदमों के किनारों को भी। 98- और उन दोनों (क़दमों) को खड़ा रखे, और ये सभी चीजें वाजिब हैं। 99- और अपने दोनों पैरों की अंगुलियों के किनारों को क़िब्ला की ओर रखे। 100- और अपनी दोनों एड़ियों को मिलाकर रखे।