दोनों सज्दों के बीच बैठने का तरीक़ा एंव इक़आ का बयानः 108- फिर "अल्लाहु अकबर" कहते हुए अपना सर उठाये, और यह नमाज़ का एक वाजिब है। 109- और कभी कभार अपने दोनों हाथों को उठाये। 110- फिर इतमिनान के साथ बैठ जाये यहाँ तक कि हर हड्डी अपनी जगह पर पहुंच जाये, और यह नमाज़ का एक रुक्न है। 111- और अपने बायें पैर को बिछाकर कर उस पर बैठे जाये, और यह नमाज़ का एक वाजिब है। 112- और अपने दायें पैर को खड़ा रखे। 113- और उस की अंगुलियों को क़िब्ला की ओर रखे। 114- और कभी कभार इक़आ की बैठक जाइज़ है और उस का तरीक़ा यह है कि अपने दोनों पैरों को खड़ा रखे और उन के किनारों को ज़मीन पर रखे और अपनी दोनों ऐड़ियों पर बैठ जाये। 115- और इस बैठक में यह दुआ पढ़ेः "अल्लाहुम्मग़ फ़िर-ली, वर्हम्नी, वज्बुर्नी, वर्फा'नी, व आफिनी, वर्ज़ुक़्नी"। 116- और अगर चाहे तो यह दुआ पढ़ेः "रब्बिग़ फ़िर-ली, रब्बिग़ फिर-ली"। 117- और इस बैठक को लम्बी करे यहाँ तक कि उस के सज्दा के क़रीब हो जाये।