तीसरी और चौथी रक्अत का बयानः 148- फिर अनिवार्य तौर पर अल्लाहु अकबर कहे, और सुन्नत का तरीक़ा यह है कि तकबीर बैठे हुए कहे। 149- और कभी कभार अपने दोनों हाथों को उठाये। 150- फिर तीसरी रक्अत के लिए उठे, और यह रुक्न है जैसे कि जो इस के बाद है। 151- और इसी प्रकार उस समय भी करे जब चौथी रकअत के लिये खड़ा होना चाहे। 152- लेकिन उठने से पहले अपने बायें पैर पर बिल्कुल इतमिनान और सुकून के साथ बराबर बैठ जाये यहाँ तक कि हर हड्डी अपनी जगह पर पहुँच जाये। 153- फिर अपने दोनों हाथों का सहारा लेते हुए खड़ा हो जाये, जिस तरह कि दूसरी रक्अत के लिए खड़ा होते समय किया था। 154- फिर तीसरी और चौथी हर रकअत में अनिवार्य रूप से सूरतुल फातिहा पढ़े। 155- और कभी कभार सूरतुल फातिहा के साथ एक या उस से अधिक आयतों की वृद्धि करना जाइज़ है।