उनकी आवश्यकताओं को पूरी करने का ख्याल रखते हज़रत मुआविया ने कहा:मैंने पूछा ऐ अल्लाह के पैगंबर! हमारी पत्नी का हम पर क्या अधिकार है? तो उन्होंने कहा:"जब तुम खाते हो तो उसे भी खिलाओ , और जब तुम पहनते हो तो उसे भी पहनाओ, और(यदि मारने की ज़रूरत पड़े)तो चेहरे पर मत मारो, और बुरा भला मत कहो, और उन्हें मत त्यागो मगर घर ही की सीमा में l इसे मुआविया बिन हैदा कुशैरी ने कथित किया है और यह हदीस सही है , इसे इब्ने दकीक़ अल-ईद ने उल्लेख किया, देखिए 'अल-इल्माम'पृष्ठ नंबर या संख्या: 2/ 655 उन पर विश्वास करते थे और उन्हें धोखा नहीं देते थे हज़रत पैगंबर-उन पर ईश्वर की कृपा और सलाम हो-ने गलती पकड़ने या धोका के खोज के लिए अचानक अपने परिवार के पास टपक पड़ने से मना किया है, एक दूसरे कथन में केवल अचानक टपक पड़ने से मना करने का उल्लेख है, गलती पकड़ने या धोका के खोज का उल्लेख नहीं है l यह हदीस हज़रत जाबिर बिन अब्दुल्लाह-अल्लाह उनसे प्रसन्न रहे-के द्वारा कथित की गई , और यह हदीस सही है, इसे इमाम मुस्लिम ने उल्लेख किया है, देखिए मुस्लिम शरीफ पेज नंबर या संख्या: १४६९l उनकी स्तिथि की खबर लेते थे और उनके बारे में पूछ गछ करते थे हज़रत अनस –अल्लाह उनसे प्रसन्न रहे- कहते हैं: हज़रत पैगंबर-उन पर ईश्वर की कृपा और सलाम हो-रात और दिन में एक घंटा के लिए अपनी पत्नियों के पास चक्कर लगाते थे और वे ग्यारह महिलाएं थीं , इस हदीस के कथावाचक ने कहा:मैंने हज़रत अनस से पूछा क्या उनके पास इतना बल था? तो उन्होंने कहा: हमें यह कहा जाता था कि उन्हें तीस मर्दों का बल दिया गया थाlयह हदीस हज़रत अनस बिन मालिक-अल्लाह उनसे प्रसन्न रहे-के द्वारा कथित की गई , और यह हदीस सही है, इसे इमाम बुखारी ने उल्लेख किया है, देखिए बुखारी शरीफ पेज नंबर या संख्या: २६८l माहवारी के दौरान उनका ख्याल रखते थे अल्लाह के पैगंबर-उन पर ईश्वर की कृपा और सलाम हो-अपनी पत्नियों के साथ कपड़े के ऊपर से संभोग करते थे जब वे माहवारी में होती थीं lयह हदीस हज़रत मैमूना बिनते हारिस-अल्लाह उनसे प्रसन्न रहे-के द्वारा कथित की गई , और यह हदीस सही है, इसे इमाम मुस्लिम ने उल्लेख किया है, देखिए मुस्लिम शरीफ पेज नंबर या संख्या: २९४l उन्हें यात्रा में साथ रखते थे हज़रत आइशा-अल्लाह उनसे प्रसन्न रहे-कहती हैं : हज़रत पैगंबर-उन पर ईश्वर की कृपा और सलाम हो-जब कहीं बाहर निकलना चाहते थे तो अपनी पत्नियों के बीच चुनाव रखते थे , जिनका नाम निकलता था उनको साथ लेते थे , एक बार वह एक लड़ाई में जाने का इरादा किए तो उस में मेरा नाम निकला , तो मैं हज़रत पैगंबर-उन पर ईश्वर की कृपा और सलाम हो-के साथ निकली और यह पर्दा का फरमान उतरने के बाद की बात है lयह हदीस हज़रत आइशा-अल्लाह उनसे प्रसन्न रहे-के द्वारा कथित की गई , और यह हदीस सही है, इसे इमाम बुखारी ने उल्लेख किया है, देखिए बुखारी शरीफ पेज नंबर या संख्या: २८७९l उनके साथ दौड़ का मुक़ाबला रखते थे और उनके साथ खेलते थे हज़रत आइशा –अल्लाह उनसे प्रसन्न रहे-कहती हैं : मैं एक यात्रा पर हज़रत पैगंबर-उन पर ईश्वर की कृपा और सलाम हो-के साथ थी और मैं अभी कम उम्र लड़की थी , हलकी फुल्की थी शारीर पर ज़ियादा गोश्त नहीं था , तो उन्होंने अपने साथियों को आगे निकलने के लिए कहा, तो वे आगे निकल गए फिर उन्होंने मुझ से कहा:आओ मैं तुम्हारे साथ दौड़ का मुक़ाबला करूँ , तो मैं दौड़ में उनसे आगे हो गई , एक बार फिर बाद में मैं उनके साथ एक यात्रा पर निकली तो उन्होंने अपने साथियों को आगे निकलने के लिए कहा , और फिर बोले :आओ मैं तुम्हारे साथ दौड़ का मुक़ाबला करूँ , और मैं तो पहले वाले दौड़ के मुक़ाबले को भूल चुकी थी , और अब मैं भारी भरकम हो चुकी थी और शरीर पर गोश्त चढ़ गया था तो मैं बोली : ऐ अल्लाह के दूत!मैं आपके साथ कहाँ दौड़ सकूंगी और अब मेरी यह स्तिथि है तो उन्होंने कहा:नहीं करना होगा, तो मैं दौड़ी लेकिन वह मुझ से आगे निकल गए और हँसने लगे, और बोले :यह उस जीत का जवाब हैlयह हदीस हज़रत उम्मे सलमा से कथित हुई और यह हदीस सही है , इसे अल्बानी ने उल्लेख किया है , देखिए 'आदाब अल-जिफाफ' पेज या संख्या नंबर: २०४l उन्हें अच्छे अच्छे नामों से संबोधित किया करते थे कथित है कि हज़रत आइशा-अल्लाह उनसे प्रसन्न रहे- हज़रत पैगंबर-उन पर ईश्वर की कृपा और सलाम हो-को बोलीं : हे अल्लाह के पैगंबर!आपकी सारी महिलाओं के लिए उपनाम हैं लेकिन मेरा कोई उपनाम नहीं है(यहां उपनाम का मतलब यह है कि मां बाप अपने बच्चों से संबंधित कोई नाम रख लेते हैं जैसे 'अब्दुर्रहमान की मां या अबदुल्ला के पिता आदि) तो हज़रत पैगंबर-उन पर ईश्वर की कृपा और सलाम हो-ने उनसे कहा:तुम अब्दुल्ला से संबंधित उपनाम रख लो मतलब अबदुल्ला बिन ज़ुबैर से संबंधित 'अबदुल्ला की मां' तुम्हारा उपनाम है, इसलिए उनको "उम्मे अब्दुल्लाह" मतलब अब्दुल्लाह की मां कहा जाता था जबकि उनके निधन होने तक उनको कोई संतान नहीं हुई थी l यह हदीस हज़रत उरवा बिन ज़ुबैर से कथित हुई और यह हदीस सही है , इसे अल्बानी ने उल्लेख किया है , देखिए 'अल-सिलसिला अल-सहीहा' पेज या संख्या नंबर: १/ २55 उनकी खुशी और सुख में साझा करते थे हज़रत आइशा-अल्लाह उनसे प्रसन्न रहे-कहती हैं: "अल्लाह की क़सम मैं देखी कि हज़रत पैगंबर-उन पर ईश्वर की कृपा और सलाम हो- मेरे कमरे के दरवाजे पर खड़े थे और हब्शी लोग अपने भालों से हज़रत पैगंबर-उन पर ईश्वर की कृपा और सलाम हो- की मस्जिद में खेल कर रहे थे, तो वह अपनी चादर में मुझ को छिपा रहे थे ताकि मैं उनका खेल देख सकूँ, वह मेरे लिए रुके रहते थे यहां तक कि मैं ही उठ जाती थी l इसलिए ऐ लोगो!आप लोग भी नई नवेली और कम उम्र लड़की का ख्याल रखो, जिनको खेल कूद देखने का शौक़ होता है l" यह हदीस हज़रत आइशा-अल्लाह उनसे प्रसन्न रहे-से कथित है, और सही है , इसे मुस्लिम ने उल्लेख किया है, देखिए मुस्लिम शरीफ पेज नम्बर या संख्या:892lऔर यह भी हज़रत आइशा-अल्लाह उनसे प्रसन्न रहे-के द्वारा कथित है, वहकहती हैं:एक दिन हज़रत पैगंबर-उन पर ईश्वर की कृपा और सलाम हो- मेरे कमरे के दरवाज़े पर ठहरे और हब्शी लोग मस्जिद में अपना खेल दिखा रहे थे, तो हज़रत पैगंबर-उन पर ईश्वर की कृपा और सलाम हो- अपनी चादर में मुझ को छिपा रहे थेऔर मैं उनका खेल देख रही थीlयह हदीस हज़रत आइशा-अल्लाह उनसे प्रसन्न रहे-से कथित है, और सही है , इसे बुखारी ने उल्लेख किया है, देखिए बुखारी शरीफ पेज नम्बर या संख्या: ४५४ l वह अपने घर में सुख और खुशी का वातावरण बनाए रखते थे हज़रत आइशा-अल्लाह उनसे प्रसन्न रहे-कहती हैं: एक बार "सौदा" हमारे पास मिलने के लिए आईं तो हज़रत पैगंबर-उन पर ईश्वर की कृपा और सलाम हो- मेरे और उनके बीच बैठे उनका एक पैर मेरी गोद में था और दूसरा उनकी गोद में था, मैं सौदा के लिए 'खजबरा'(एक प्रकार का खाना) बनाई और उनको खाने के लिए बोली लेकिन वह खाने से इनकार कर दी तो मैं उनको बोली खाओगी या फिर तुम्हारे चेहरे पर लेप दूँ इस तरह मैं अपना हाथ उस खाने में रखी और उनके चेहरे को लेप दी इस पर हज़रत पैगंबर-उन पर ईश्वर की कृपा और सलाम हो- मुस्कुराए उसके बाद अपना पैर उनके लिए रखे रहे और सौदा को बोले उसके चेहरे को भी लेपो तो वह मेरे चेहरे को लेप दी इस पर भी हज़रत पैगंबर-उन पर ईश्वर की कृपा और सलाम हो- मुस्कुराए, इतने में हज़रत उमर वहां से गुज़रे तो उन्होंने उनको आवाज़ दे कर कहा: ऐ अब्दुल्लाह! ऐ अब्दुल्लाह! और हज़रत पैगंबर-उन पर ईश्वर की कृपा और सलाम हो- को लगा कि उमर अंदर आएंगे इस पर हज़रत पैगंबर-उन पर ईश्वर की कृपा और सलाम हो- दोनों को अपना अपना चेहरा धो लेने के लिए बोले, हज़रत आइशा-अल्लाह उनसे प्रसन्न रहे- कहती हैं इसलिए मैं भी उनसे डर कर रहती थी क्योंकिहज़रत पैगंबर-उन पर ईश्वर की कृपा और सलाम हो-ने उनको सम्मान दिया था lयह हदीस हज़रत आइशा से कथित हुई और यह हदीस सही है , इसे अल्बानी ने उल्लेख किया है , देखिए 'अल-सिलसिला अल-सहीहा' पेज या संख्या नंबर: ७/ ३६३l वह अपनी पत्नियों के रिश्तेदारों को चाहते थे और उनका सम्मान करते थे हज़रत अबू-उस्मान नह्दी से कथित है कि हज़रत पैगंबर-उन पर ईश्वर की कृपाऔर सलाम हो-ने अम्र बिन आस को 'ज़ाति सलासिल' नामक जंग के फौज के साथ रवाना किया था अम्र बिन आस कहते हैं कि:मैं उनके पास आया और पूछा:आप के पास लोगों मैं सब से अधिक प्रीय कौन हैं? तो उन्होंने कहा: "आइशा" (हज़रत पैगंबर-उन पर ईश्वर की कृपाऔर सलाम हो-की पवित्र पत्नी)अम्रनेकहा: पुरुष के बारे मैं पूछ रहा हूँ, तो उन्होंने कहा: उनकेपिता lअम्रने कहा: फिरकौन ? तो उन्होंने उत्तर दिया:उमर बिन ख़त्ताबlअम्र ने कहा:फिर कौन? तो हज़रत पैगंबर-उन पर ईश्वर की कृपाऔर सलाम हो-लोगों के नाम गिनाने लगे और उल्लेख करना शुरू किएऔर लोगों का नाम लेते गएlफिर हज़रत अम्र नेकहा:मैं तो इस डर से चुप हो गया कि हो सकता है मुझे सबसे पीछे न करदें lयह हदीस हज़रत अबू-उस्मान नह्दी-से कथित है, और सही है , इसे बुखारी ने उल्लेख किया है, देखिए बुखारी शरीफ पेज नम्बर या संख्या: ४३५८ l