दूसरा सज्दाः
118- फिर वजूबी (अनिवार्य) तौर पर अल्लाहु अकबर कहे।
119- और कभी कभार इस तकबीर के साथ अपने दोनों हाथों को उठाये।
120- और दूसरा सज्दा करे, और यह भी नमाज़ का एक रुक्न है।
121- और जो कुछ पहले सज्दे में किया था इस में भी करे।