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पैग़म्बर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम और महिला का सम्मान-4

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जहां तक पैग़म्बर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के अपनी बीवियों के साथ बर्ताव का संबंध है, तो वह अतयंत नर्मी और विनम्रता का बर्ताव था। अस्वद से वर्णित है वह कहते हैं : “मैं ने आर्इशा रजि़यल्लाहु अन्हा से पूछा: अल्लाह के पैग़म्बर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम अपने परिवार में क्या किया करते थे?  उन्हों ने उत्तर दिया: अपने परिवार की सेवा में व्यस्त रहते थे,  जब नमाज़ का समय हो जाता, तो नमाज़ के लिए उठ कर चले जाते थे।“ (बुखारी )

तथा आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम अपनी बीवियों की प्रसन्नता ढूंढ़ते थे, और उन से मीठी-मीठी बातों और मनोहर वार्तालाप से सम्बोधित होते थे।

इस का एक उदाहरण आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का आर्इशा रजि़यल्लाहु अन्हा से यह कहना है:

''मैं तुम्हारी अप्रसन्नता और प्रसन्नता को पहचानता हूं। उन्हों ने पूछा: ऐ अल्लाह के पैग़म्बर! आप इसे कैसे पहचानते  हैं?  आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया: ''जब तुम प्रसन्न होती हो तो कहती हो: क्यों नहीं , मुहम्मद के पालनहार की क़सम,  और जब तुम नाराज़ होती हो तो कहती हो: नहीं, इब्राहीम के पालनहार की क़सम। तो उन्हों ने कहा: हां, अल्लाह की क़सम ऐ अल्लाह के पैग़म्बर! मैं केवल आप का नाम छोड़ती हूं।“ (बुखारी एंव मुस्लिम )

अर्थात दिल में आप की महब्बत बाक़ी रहती है।

इसी प्रकार पैग़म्बर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने अपनी पत्नी खदीजा रजि़यल्लाहु अन्हा को उनकी मृत्यु के पश्चात भी नहीं भुलाया। अनस रजि़यल्लाहु कहते हैं: जब पैग़म्बर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के पास कोर्इ तोहफा आता तो आप फरमाते:

''इसे फलां औरत को दे आओ, क्योंकि वह खदीजा की सहेली थी।“ (इसे तब्रानी ने रिवायत किया है ) 

यह है पैग़म्बर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का सम्मान महिलाओ के प्रति। तो ऐ महिला की स्वतंत्रता का राग अलापने वालो, तुम्हारा इस प्रकार के सम्मान से कितना संबंध है !

सर्व जगत के पालनहार से हमारी प्रार्थना है कि इस लेख को महिलाओं पर पैग़म्बर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के महान उपकार,  दया,  तथा उनके प्रति आप के अनुपम व्यवहार,  न्याय और सम्मान को स्पष्ट करने और मानवता को इनसे अवगत कराने में लाभदायक बनाये।