" ए मेरे बंदो! मैंने ज़ुल्म को अपने ऊपर ह़राम क़रार दिया है। (यानी मैं ज़ुल्म से पाक हूँ।) और तुम पर भी उसे ह़राम किया है। तो तुम आपस में एक दूसरे पर ज़ुल्म मत करो। ए मेरे बंदो! तुम सब बहके हुए हो सिवाए उस शख्स के जिसको मैं हिदायत दूँ। तो तुम मुझसे हिदायत मांगो मैं तुम्हें हिदायत दूंगा। ए मेरे बंदो! तुम सब भूखे हो सिवाय उसके जिसे मैं खिलाऊं तो तुम मुझसे खाना मांगो मैं तुम्हें खाना खिलाऊंगा। ए मेरे बंदो! तुम सब नंगे हो (यानी बदन छुपाने के लिए कपड़े के मोहताज हो) सिवाय उसके जिसे मैं पहनाऊं तो तुम मुझसे कपड़े मांगू मैं तुम्हें दूंगा। ए मेरे बंदो! तुम दिन रात गलतियाँ करते हो और मैं तुम्हारी गलतियों को माफ करता हूँ। तो तुम मुझसे माफी मांगो मैं तुम्हें माफ कर दूँगा। ए मेरे बंदो! तुम मेरा नुकसान नहीं कर सकते और ना ही मुझे कोई फायदा पहुंचा सकते हो। ए मेरे बंदो! अगर तुम्हारे अगले और पिछले और आदमी और जिन सब ऐसे हो जाएं जैसे तुम में सबसे बड़ा परहेज़ गार शख्स तो उससे मेरी हुकूमत में कुछ ज़्यादती ना होगी। और अगर तुम्हारे अगले और पिछले लोग और इंसान और जिन सब ऐसे हो जाएं जैसे तुम में सबसे बड़ा बदकार (गुनाहगार) शख्स तो उससे मेरी हुकूमत में कुछ नुकसान ना पहुंचेगा। ए मेरे बंदो! अगर तुम्हारे अगले और पिछले (सभी लोग) और इंसान और जिन सब एक मैदान में खड़े हों जाएँ और फिर मुझसे मांगना शुरू करें और मैं हर एक को जो वह मांगे दे दूँ तब भी मेरे पास जो कुछ है वह कम ना होगा मगर इतना जैसे समुद्र में सूई डाल कर निकालो (समुन्द्र में सूई डालकर निकालने उसके के पानी में जितनी कमी आती है उतनी भी अल्लाह के खजाने में कमी न आएगी। क्योंकि उसके खज़ाने की कोई सीमा नहीं है। और यह सूई से तो समझाने के लिए उदाहरण दिया गया है।) ए मेरे बंदो! यह तो तुम्हारे ही काम है जिनको मैं तुम्हारे लिए गिनता हूँ। फिर तुम्हें इन कामों का पूरा बदला दूंगा। तो जो व्यक्ति बेहतर बदला पाए तो चाहिए कि अल्लाह का शुक्र अदा करे (कि उसकी कमाई बेकार ना गई) और जो बुरा बदला पाए तो अपने आप को मलामत करे। (कि उसने जैसा किया वैसा पाया।)"