तर्जुमा: ह़ज़रत अबू उमामह रद़ियल्लाहु अ़न्हु बयान करते हैं कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया: "मिस्वाक किया करो। क्योंकि मिस्वाक मुंह को साफ़ करती है और अल्लाह को खुश करती है। जिबरईल अ़लैहिस्सलाम जब भी मेरे पास आते तो मिस्वाक करने का ज़रूर आदेश देते यहाँ तक कि मुझे लगा कि वह मुझ पर और मेरी उम्मत पर फ़र्ज़ (अनिवार्य) कर दी जाएगी। और अगर मुझे मेरी उम्मत पर दुश्वारी का डर न होता तो मैं उस पर मिस्वाक फ़र्ज़ (अनिवार्य) कर देता। मैं तो इस कदर मिस्वाक करता हूँ कि मुझे लगता है कि मसूड़े छील डालूंगा। "