तर्जुमा: ह़ज़रत अनस रद़ियल्लाहु अ़न्हु बयान करते हैं कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया: "अपने भाई की मदद करो वह ज़ालिम या मज़लूम।" सह़ाबा ने पूछा: ए अल्लाह के रसूल! हम मजलूम की तो मदद कर सकते हैं लेकिन जालिम की मदद किस तरह करें? आप सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम ने फरमाया: "(ज़ुल्म से) उसके हाथों को पकड़ लो। (यानी उसे ज़ुल्म से मना करो तो यही उसकी मदद है)।"