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भोजन खाने के समय की सुन्नतें
भोजन खाने के समय की सुन्नतें:
• भोजन करने के दौरान और उसके पहले की सुन्नतें:
१-भोजनशुरू करने से पहले "बिस्मिल्लाह" पढ़ना सुन्नत है: उसके शब्द यह हैं:
(بسم الله الرحمن الرحيم(
"बिस्मिल्लाहिर-रहमानिर-रहीम (अल्लाह के नाम से जो बड़ा कृपाशील, अत्यंत दयावान है l"
2 - दाहिने हाथ से खाना l
4– यदि लुक़मा (या कौर) गिर जाए तो उसे साफ़ करके खा लेना चाहिए , क्योंकि शुभ हदीस में है: "जब तुम में से किसी का लुक़मा (या कौर) गिर जाए तो उस में से हानिकारक वस्तु को निकाल दे और फिर उसे खाले l" इसे इमाम मुस्लिम ने उल्लेख किया है l
5- तीन अंगुलियों के द्वारा खाना: शुभ हदीस में है कि:" हज़रत पैगंबर- उन पर इश्वर की कृपाऔर सलाम हो-तीन अंगुलियों के द्वारा खाते
थे"l इसे इमाम मुस्लिम ने उल्लेख किया है, अधिकतर उनका यही तरीक़ा था और यही बेहतर भी हैlलेकिन यदि मजबूरी हो तो कोई बात नहीं है l
6- खाने केलिए बैठने का तरीक़ा: खाने केलिए बैठने का तरीक़ा यह है कि अपने दोनों घुटनों और दोनों पैरों के तलवों पर बैठे, अथवा अपने दाहिने पैर को खड़ा रखे और बाएं पैर पर बैठे, और यही बेहतर तरीक़ा हैlइसे हाफिज़ इब्ने-हजर ने "फत्हुल-बारी" में उल्लेख किया है l
• इसी तरह खाने के बाद भी कुछ सुन्नतें हैं :
१– खाने की प्लेट और उंगलियों को चाटना: क्योंकि -हज़रत पैगंबर-उन पर इश्वर की कृपाऔर सलाम हो- उंगलियों और प्लेट को चाटने का आदेश देते थे और कहते थे :क्योंकि तुम नहीं जानते हो कि बरकत किस में है ?
२- खाने के बाद अल-हमदु-लिल्लाह-(अल्लाह का शुक्र है) कहना:क्योंकि शुभ हदीस में है: " निस्संदेह अल्लाह दास से प्रसन्न होता है, यदि वह खाना खता है और उसपर उसका शुक्र अदा करता है l" इसे इमाम मुस्लिम ने उल्लेख किया है lहज़रत पैगंबर-उन पर इश्वर की कृपाऔर सलाम हो- खाने के बाद यह दुआ पढ़ा करते थे:
"الحمد لله الذي أطعمني هذا ورزقنيه من غير حول مني ولا قوة"
"अल-हमदु लिल्लाहिल-लज़ी अतअमनी हाज़ा व रज़क़नीहि मिन ग़ैरि हव्लिन मिन्नी व ला क़ुव्वह" (अल्लाह के लिए शुक्र है जिसने मुझे
यह खिलाया और जिसने मुझे यह रोज़ी दी है बिना मेरी शक्ति और बल केl" इस दुआ को पढ़ने का फल यह है कि उसके पिछले सारे पापों को क्षमा कर दिया जाता है lइसे अबू-दाऊद, तिरमिज़ी और इब्ने- माजा ने उल्लेख किया है , और हाफिज़ इब्ने-हजर और अल्बानी ने इसे सही बताया है l
• याद रहे कि उन सुन्नतों की कुल संख्या १५ (पंद्रह) होती हैं जिन्हें एक मुसलमान व्यक्ति खाने के समय लागू करने का प्रयास करता है , यह बात उस आदत पर आधारित है जिसमें एक व्यक्ति रात और दिन में तीन बार खाता है, जैसा की अधिकांश लोगों की आदत है, लेकिन इस सुन्नत की संख्या बढ़ भी सकती है यदि इन तीनों खानों के बीच हल्केफुल्के नाश्तों को भी शामिल कर लिया जाए l