1. सामग्री
  2. क़ुरआन करीम में भ्रूण के विकास के चरणों के बारे में वैज्ञानिक तथ्य
  3. शुक्राणु : न्यूनतम द्रव

शुक्राणु : न्यूनतम द्रव

पवित्र क़ुरआन में कम से कम ग्यारह बार दुहराया गया है कि मानव जाति की रचना‘ वीर्य 'नुत्फ़ा' से की गई है जिसका अर्थ द्रव का न्यूनतम भाग है। यह बात पवित्र क़ुरआन की कई आयतों में बार बार आई है जिन में सूरः 22, आयत-15 और सूरः 23, आयत-13 के अलावा सूर: 16, आयत-14,  सूर: 18, आयत-37,  सूर: 35, आयत-11, सूरः 36 आयत-77, सूरः 40 आयत-67, सूर: 53, आयत-46, सूर: 76, आयत-2 और सूर: 80, आयत-19 शामिल हैं।

 


विज्ञान ने हाल ही में यह खोज निकाला है कि 'अण्डाणु' (ovum)  को काम में लाने के लिये औसतन तीस लाख वीर्य 'शुक्राणु' (sperms)  में से सिर्फ़ एक की आवश्यकता होती है। अर्थ यह हुआ कि स्खलित होने वाली वीर्य की मात्रा का तीस लाखवाँ भाग या 1/30,000,00 प्रतिशत मात्रा ही गर्भाधान के लिये पर्याप्त होता है।

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