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(45) मुझे इतना ना बढ़ाओ जितना कि ईसाइयों ने ईसा बिन मरयम को बढ़ा दिया।

182 2020/09/05
(45) मुझे इतना ना बढ़ाओ जितना कि ईसाइयों ने ईसा बिन मरयम को बढ़ा दिया।

عَنْ عُمَرَ بن الخطاب - رَضِيَ اللَّهُ عَنْهُ - أَنَّ رَسُولَ اللَّهِ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ قَالَ

لَا تُطْرُونِي كَمَا أَطْرَتْ النَّصَارَى عِيسَى ابْنَ مَرْيَمَ عَلَيْهِ السَّلَام فَإِنَّمَا أَنَا عَبْد، فَقُولوا: عَبْدُ اللَّهِ وَرَسُولُهُ ".

तर्जुमा: ह़ज़रत उ़मर बिन खत़्त़ाब कहते हैं कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया:

"मुझे इतना ना बढ़ाओ जितना कि ईसाइयों ने ईसा बिन मरयम (की तारीफ में ज़्यादती करके उन्हें अल्लाह का बेटा बना कर उन) को बढ़ा दिया। मैं अल्लाह का बंदा हि हूँ। तो तुम भी (मुझे) अल्लाह का बंदा और उसका रसूल (ही) कहो।"

आप सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम सबसे बुलंद अखलाक, सबसे अच्छे गुणों और बेहतर विशेषताओं और खासियतों के मालिक थे। तथा आप सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम उन सभी जिस्मानी और अखलाकी (भौतिक और नैतिक) ऐबों यानी दोषों से पाक थे जिन्हें लोगों के अन्दर बुरा समझा जाता है। 
अल्लाह ने आपके बुलंद अखलाक की तारीफ की और अगले और पिछले सभी लोगों में आपकी शान बुलंद की। क़ुरआन मजीद में है:

﴿ وَإِنَّكَ لَعَلَى خُلُقٍ عَظِيمٍ ﴾

(सूरह: अल-क़लम, आयत संख्या: 4) 

तर्जुमा: और बेशक आप बुलंद अखलाक पर हैं। 
यानी खास तौर से आप सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम ऐसे अखलाक के मालिक हैं जिनमें सारे संसार में आपका कोई दूसरा नहीं है। 
इस ह़दीस़ शरीफ में आप सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम ने अपने मानने वालों को ज़्यादती व अधिकता की सबसे ज़्यादा खतरनाक प्रकार से खबरदार करके उससे मना फ़रमाया है। अतः आप सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया: "मुझे इतना ना बढ़ाओ जितना कि ईसाइयों ने ईसा बिन मरयम को बढ़ा दिया। " यानी मेरी तारीफ के चक्कर में मेरे हक में वह ना कहो जो ईसाई ह़ज़रत ईसा बिन मरयम के बारे में कहते हैं। मैं अल्लाह का बंदा और उसका रसूल ही हूँ। (और मैं अल्लाह या उसका बेटा नहीं हूँ जैसा कि इस ईसाई ह़ज़रत ई़सा अलैहिस्सलाम के बारे में कहते हैं जबकि वह भी मेरी तरह अल्लाह के बंदे और उसके रसूल ही हैं।) लिहाज़ा मुझे अल्लाह का बंदा और उसका रसूल ही मानो और वही कहो। और ऐसी बात हरगिज़ ना कहो जो इन दोनों विशेषताओं यानी बंदगी और रिसालत (पैगम्बरित) के खिलाफ हों जो बंदें के अंदर सबसे बुलंद विशेषताएं हैं। 
अल्लाह की बंदगी करना सारी मखलूक़ की जिम्मेदारी है। और रिसालत (पैगम्बरियत) तो वह अल्लाह अपने नेक बंदो में से जिसे चाहता है देता करता है। 
बेशक अल्लाह एक है। ना ही उसका कोई साझेदार है और ना ही उसकी कोई औलाद। उसी के लिए सारी पूर्णता और पाकी है। लिहाज़ा हमें वही कहना चाहिए जिसके कहने का अल्लाह ने हमें हुक्म दिया है। ईसाईयों की तरह नहीं होना चाहिए। इसलिए कि वे गुमराह हैं और सीधे रास्ते से भटके हुए हैं। क्योंकि उन्होंने ह़ज़रत ई़सा बिन मरयम अ़लैहिस्सलाम के मर्तबे को इतना बढ़ा दिया जो उनके बल्कि किसी बंदे के लायक नहीं हैं। बहुत ज़्यादा ज़्यादती व अधिकता से जो कुछ उन्होंने चाहा उनकी शान में कह डाला और उन्हें उनके स्थान से बहुत ज़्यादा बढ़ा कर रख दिया हालांकि ह़ज़रत ई़सा अ़लैहिस्सलाम ईसाइयों की उन तमाम गलत और झूठी बातों से बरी हैं जो उन्होंने आपके बारे में कहीं हैं या आपकी तरफ उनकी निसबत की है।

पैगंबर हज़रत मुहम्मद के समर्थन की वेबसाइटIt's a beautiful day