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(69) तुम अपने वारिसों को अपने बाद मालदार छोड़ कर जाओ तो यह उस से बेहतर है कि उन्हें मोहताज छोड़ कर जाओ कि फिर वे लोगों के सामने हाथ फैलाते फिरें।
عَنْ عَنْ سَعْدِ بْنِ أَبِي وَقَّاصٍ رَضِيَ اللَّهُ عَنْهُ قَالَ:
جَاءَ النَّبِيُّ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ يَعُودُنِي وَأَنَا بِمَكَّةَ، وَهُوَ يَكْرَهُ أَنْ يَمُوتَ بِالْأَرْضِ الَّتِي هَاجَرَ مِنْهَا. قَالَ: "يَرْحَمُ اللَّهُ ابْنَ عَفْرَاءَ". قُلْتُ يَا رَسُولَ اللَّهِ: أُوصِي بِمَالِي كُلِّهِ؟ قَالَ: "لَا". قُلْتُ: فَالشَّطْرُ. قَالَ: "لَا". قُلْتُ: الثُّلُثُ. قَالَ: "فَالثُّلُثُ، وَالثُّلُثُ كَثِيرٌ؛ إِنَّكَ أَنْ تَدَعَ وَرَثَتَكَ أَغْنِيَاءَ خَيْرٌ مِنْ أَنْ تَدَعَهُمْ عَالَةً يَتَكَفَّفُونَ النَّاسَ فِي أَيْدِيهِمْ، وَإِنَّكَ مَهْمَا أَنْفَقْتَ مِنْ نَفَقَةٍ فَإِنَّهَا صَدَقَةٌ حَتَّى اللُّقْمَةُ الَّتِي تَرْفَعُهَا إِلَى فِي امْرَأَتِكَ، وَعَسَى اللَّهُ أَنْ يَرْفَعَكَ فَيَنْتَفِعَ بِكَ نَاسٌ وَيُضَرَّ بِكَ آخَرُونَ"، وَلَمْ يَكُنْ لَهُ يَوْمَئِذٍ إِلَّا ابْنَةٌ.
: ह़ज़रत सअ़द बिन अबी वक़्क़ास ने बयान किया के नबी ए करीम सल्लल्लाहु अ़लैहि
तर्जुमा वसल्लम (हज्जतुल वदाअ़ में ) मेरी खैरियत के लिए तशरीफ लाए। मैं उस समय मक्के हि में था। और नबी ए करीम सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम उस जगह पर मौत को पसंद नहीं करते थे जहाँ से कोई हिजरत कर चुका हो। नबी ए करीम सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम ने फरमाया अल्लाह इब्ने अ़फरा पर रह़मत (कृपा) फरमाए। मैंने कहा: ए अल्लाह के रसूल! मैं अपने सारे माल व दौलत की वसीयत कर दूं? नबी ए करीम सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम ने फ़रमाया: नहीं। मैंने पूछा: फिर आधे की कर दूँ ? नबी सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम ने फ़रमाया: नहीं। मैंने पूछा: फिर तिहाई की कर दूँ? नबी ए करीम सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम ने फ़रमाया: तिहाई की कर सकते हो, और यह भी बहुत है, अगर तुम अपने वारिसों को अपने बाद मालदार छोड़ कर जाओ तो यह उस से बेहतर है कि उन्हें मोहताज छोड़ कर जाओ कि फिर वे लोगों के सामने हाथ फैलाते फिरें। बेशक (नेक दिली से) जो भी तुम खर्च करते हो वह सब सदका़ है यहाँ तक कि वह निवाला भी जो तुम अपनी बीवी के मुंह में डालते हो। और मुमकिन है कि अल्लाह तुम्हारी उम्र में बरकत दे और उसके बाद तुम से बहुत से लोगों को फायदा हो और (इस्लाम के दुश्मन) दूसरे बहुत से लोग नुकसान उठाएं। उस समय ह़ज़रत सअ़द रद़ियल्लाहु अ़न्हु की सिर्फ एक ही बेटी थी।
नबी ए करीम सल्लल्लाहु अ़लैहि सल्लम ने अपने सभी जवाबों की वजह अपने इस फ़रमान से बयान की कि: "अगर तुम अपने वारिसों को अपने बाद मालदार छोड़ कर जाओ तो यह उस से बेहतर है कि उन्हें मोहताज छोड़ कर जाओ कि फिर वे लोगों के सामने हाथ फैलाते फिरें।" यानी अगर तुम अपने वारिसों को मालदार छोड़ कर जाओ तो यह तुम्हारे लिए भी और उनके लिए भी उससे बेहतर है कि तुम उन्हें गरीब व फकीर छोड़ कर जाओ कि वे दूसरे लोगों से भीख मांगते फिरें तो वे लोग उनके हाथों में थोड़ा बहुत कुछ डाल दें जिससे दुनिया और आखिरत में उनकी ज़िल्लत व रुसवाई हो।
इस ह़दीस़ में जो मालदार आया है उसका मतलब यह है कि उनकी जिंदगी का ज़रूरत भर माल हो ना कि यह कि बहुत ज़्यादा माल हो। तो जिसके पास ज़रूरत भर खाने पीने का सामान और दूसरी ज़रूरी चीज़ें हैं गोया के उसके पास सारी दुनिया है।
ह़दीस़ पाक में आने वाला शब्द "आ़लह" का मतलब वे लोग हैं जो दूसरों पर बोझ हों यानी दूसरों से अपनी ज़रूरत की चीज़ें और पैसे वगैरह भीख मांगें।
इंसान के ज़िम्मे में जिसका खर्च होता है तो वह उसका अपनी जिंदगी में भी ज़िम्मेदार है और मरने के बाद भी ज़िम्मेदार है जबकि उसके पास इतना माल हो जिससे कि उसके इस दुनिया से जाने के बाद उसकी देखभाल में रहने वाला व्यक्ति या उसका वारिस अपनी ज़िंदगी की ज़रूरत को पूरा कर सके।
इंसान मरने के बाद एक याद बनकर रह जाता है और इंसान की याद उसकी दूसरी जिंदगी है लिहाज़ा इंसान को चाहिए कि वह अपने बाद वालों के लिए कुछ माल वगैरा छोड़कर जाए जिससे वे उसे याद करते रहें।
तथा हमें इस ह़दीस़ शरीफ से यह सबक़ मिलता है कि इंसान बीमारी के समय वसीयत करने में जल्दी ना करे क्योंकि हो सकता है अल्लाह तआ़ला उसे ठीक कर दे और उसे लंबी ज़िन्दगी दे और फिर वह अपनी दौलत से फायदा उठाए। लिहाज़ा जब तक ज़िंदा रहने और नेक अ़मल करने की उम्मीद बाकी है जब तक वह अपनी सारी या आधी या तिहाई दौलत सदका़ करने या किसी को देने की वसीयत करने में जल्दी ना करे। और अगर वसीयत करना ज़रूरी ही समझता है तो सिर्फ एक तिहाई के अंदर ही अंदर करे।