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(74) दो लानत के कामों (यानी जिनकी वजह से लोग तुम पर लानत करें उन) से बचें।

209 2020/09/06
(74) दो लानत के कामों (यानी जिनकी वजह से लोग तुम पर लानत करें उन) से बचें।

عَنْ أَبِي هُرَيْرَةَ - رضي الله عنه - أَنَّ رَسُولَ اللَّهِ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ قَالَ:

"اتَّقُوا اللَّعَّانَيْنِ". قَالُوا: وَمَا اللَّعَّانَانِ يَا رَسُولَ اللَّهِ؟ قَالَ: "الَّذِي يَتَخَلَّى فِي طَرِيقِ النَّاسِ أَوْ فِي ظِلِّهِمْ".

ह़ज़रत अबुहुरैराह रद़ियल्लाहु अ़न्हु बयान करते हैं कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया:

"दो लानत के कामों (यानी जिनकी वजह से लोग तुम पर लानत करें उन) से बचो। सह़ाबा ए किराम ने पूछा: लानत का सबब बनने वाले वे दो काम कोन से हैं? नबी सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया: लोगों के रास्ते और साए में पाखाना- पैशाब करना।

इस्लाम हर उस चीज़ से पाकी और सफाई करने का हुक्म देता है जिसे इंसानी फितरत ना पंसद करती है या जिससे लोगों को तकलीफ होती है। अतः इस्लाम में पाकी आधा ईमान है। इंसान का हर ऐ़बदार चीज़ से पाक व साफ रहना उसकी अच्छी तबीयत, साफ फितरत, उसके बलंद एख़लाक और अच्छे व्यवहार की दलील है।

नबी ए करीम सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम के फ़रमान "दो लानत के कामों से बचो।" का मतलब है कि उन दोनों से दूर रहो। सह़ाबा ए किराम रद़ियल्लाहु अ़न्हुम ने उन दो कामों के बारे में पूछा तो नबी ए करीम सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम ने बड़े ही प्यारे अंदाज़ में जवाब दिया कि वे दोनों काम "लोगों के रास्ते और साए में पाखाना- पैशाब करना।" है।यानी आम रास्ते या पेड़ या दीवार वगैरह के साए में पैशाब या पाखाना करना कि जहाँ लोग बैठते हों।

जिस तरह लोगों के रास्ते में पेशाब या पखाना करना सही़ह़ व जायज़ नहीं है इसी तरह से वहाँ पत्थर, कांटे केले वगैरह के छिलके या दूसरी गंदगी फेंकना या वहाँ दूसरी ऐसी चीज़ें डालना भी जायज़ नहीं है जिन से रास्ते बंद हो जाएं और लोगों का चैन और सुकून खत्म हो जाए।

इसी तरह से मजलिसों, सभाओं, रास्तों, घरों और मस्जिदों वगैरह में शोर मचाना, आवाजें बुलंद करना और ऐसे शब्दों का इस्तेमाल करना भी जायज़ नहीं है जिन्हें शर्म व हया वाले लोग पसंद नहीं करते हैं।

इस्लाम अपने सभी कानूनों में लोगों को उनकी उस फितरत की तरफ बुलाता है जिस पर अल्लाह ने उन्हें पैदा फरमाया है और हर ऐसी आदत को खत्म करता है जो उनकी सही़ह़ और अच्छी फितरत के खिलाफ हो। लिहाज़ा जो इस्लाम के कानूनों को जान ले और उन्हें मज़बूती से थाम ले तो वह हर ऐसे काम से दूर रहेगा जो शर्म व हया को खत्म करता हो या साफ-सुथरी फितरत के खिलाफ हो।

पैगंबर हज़रत मुहम्मद के समर्थन की वेबसाइटIt's a beautiful day