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(93) वह शैतान है जिसका का नाम खनज़ब है, जब तुम्हें उस शैतान का असर महसूस हो तो उससे अल्लाह की पनाह मांगो
عَنْ أَبِي الْعَلَاءِ، أَنَّ عُثْمَانَ بْنَ أَبِي الْعَاصِ أَتَى النَّبِيَّ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ فَقَالَ:
يَا رَسُولَ اللَّهِ، إِنَّ الشَّيْطَانَ قَدْ حَالَ بَيْنِي وَبَيْنَ صَلَاتِي وَقِرَاءَتِي يَلْبِسُهَا عَلَيَّ، فَقَالَ رَسُولُ اللَّهِ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ: ذَاكَ شَيْطَانٌ يُقَالُ لَهُ خَنْزَبٌ فَإِذَا أَحْسَسْتَهُ فَتَعَوَّذْ بِاللَّهِ مِنْهُ، وَاتْفِلْ عَلَى يَسَارِكَ ثَلَاثًا". قَالَ فَفَعَلْتُ ذَلِكَ فَأَذْهَبَهُ اللَّهُ عَزَّ وَجَّلَّ عَنِّي.
: ह़ज़रत अबुल उ़ला से रिवायत है कि ह़ज़रत उस्मान बिन अबु अल-आ़स रद़ियल्लाहु
तर्जुमा अ़न्हु नबी ए करीम सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम के पास आए और कहा कि ए अल्लाह के रसूल! शैतान मेरी नमाज़ में रुकावट बनता है और मुझे क़ुरआन भुला देता है। आप सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया: "वह शैतान है जिसका का नाम खनज़ब है, जब तुम्हें उस शैतान का असर महसूस हो तो उससे अल्लाह की पनाह मांगो और (नमाज़ के अंदर ही) बाएं तरफ (दिल पर) तीन बार फूंक मारले।" ह़ज़रत उस्मान रद़ियल्लाहु अ़न्हु बयान करते हैं कि मैंने ऐसा ही किया तो अल्लाह ने मुझ से उस शैतान को दूर कर दिया।
सह़ाबा ए किराम रद़ियल्लाहु अ़न्हुम शैतान की सारी साजिशों को पूरे तौर पर जानते थे, उनसे बचने के लिए पूरी सावधानी बरतते थे और हर समय उनसे अल्लाह की पनाह मांगते थे जैसा कि अल्लाह और उसके रसूल सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम ने इसका हुक्म दिया है। लेकिन फिर भी कुछ सह़ाबा ए किराम नमाज़ वगैरह इबादतों में कभी-कभी शैतानी वसवसे महसूस करते थे और उन्हें दूर नहीं कर पाते थे। वे सबसे बड़े हकीम नबी ए करीम सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम की बारगाह में आते ताकि आप सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम उन्हें इस बीमारी की दवा बताएं कि कहीं उसका खतरा बढ़ ना जाए कि फिर वे ज़िक्र करना, तसबीह़, क़ुरआन मजीद और रात में नमाज़ पढ़ना वगैरह दूसरी इबादतों मैं अपने समयों से फायदा ना उठा सकें।
अथा: नबी ए करीम सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया: "जब तुम्हें उस शैतान का असर महसूस हो तो उससे अल्लाह की पनाह मांगो।" यानी जब शैतान तुम्हें किसी दुनिया की चीज का वसवसा दिलाए ताकि तुम्हें तुम्हारी नमाज़ और कुरान पढ़ने से रोके तो अल्लाह से मदद मांगो। क्योंकि वही तुम्हें उससे बचाएगा और महफूज रखेगा। इंसान उसी समय शैतान और उसकी बुराई से सुरक्षित रह सकता है जबकि वह उससे अल्लाह की पनाह (शरण) चाहे, उससे सुरक्षा मांगे और हर हाल और हर समय पूरे दिल से अल्लाह का ज़िक्र करे।