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(128) ज़्यादा प्यार करने वाली और ज़्यादा बच्चे पैदा करने वाली औरतों से शादी करो।
عَنْ مَعْقِلِ بْنِ يَسَارٍ– رَضِيَ اللَّهُ عَنْهُ – قَالَ:
جَاءَ رَجُلٌ إِلَى النَّبِيِّ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ فَقَالَ إِنِّي أَحبَبتُ امْرَأَةً ذَاتَ حَسَبٍ وَجَمَال ٍوَإِنَّهَا لَا تَلِدُ أَفَأَتَزَوَّجُهَا؟ قَالَ: "لَا" ثُمَّ أَتَاهُ الثَّانِيَةَ، فَنَهَاهُ، ثُمَّ أَتَاهُ الثَّالِثَةَ، فَقَالَ: "تَزَوَّجُوا الْوَدُودَ الْوَلُودَ فَإِنِّي مُكَاثِرٌ بِكُمْ الْأُمَمَ".
: ह़ज़रत मअ़क़िल बिन यसार रद़ियल्लाहु अ़न्हु बयान करते हैं कि एक व्यक्ति नबी ए
तर्जुमा करीम सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम के पास आया और बोला: "मुझे एक औरत का रिश्ता मिल रहा है जो अच्छे नसब (वंश) वाली और सुंदर है। लेकिन बच्चे पैदा करने के लायक नहीं है। तो क्या मैं उससे शादी कर लूँ? नबी ए करीम सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया:"नहीं।"वह व्यक्ति दोबारा आया (और यही पूछा।) तो नबी ए करीम सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम ने उससे मना कर दिया। वह तीसरी बार फिर से आए तो नबी ए करीम सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया:" ज़्यादा प्यार करने वाली और ज़्यादा बच्चे पैदा करने वाली औरतों से शादी करो। क्योंकि मैं (क़यामत के दिन) तुम्हारे ज़्यादा होने की वजह से दुसरी उम्मतों पर गर्व करूंगा।"
बच्चे पैदा करना शादी का सबसे बड़ा फायदा और सबसे महत्वपूर्ण मकसद है। बल्कि वही अस्ल मकसद है। बाकी दुसरी चीजें तो उसके साथ शामिल हैं। बच्चों की ख्वाहिश व इच्छा करना वाजिब किफाया है यानी अगर सभी लोग बच्चों की इच्छा छोड़ दें और बच्चे पैदा करना न चाहें तो सभी गुनाहगार होंगे। इसका कारण यह है कि बच्चों के जन्म पर ही कयामत तक मानव जाति की सुरक्षा और इंसानियत का वजूद (अस्तित्व) निर्भर है।
इसी वजह से तो अल्लाह ने शादी को जायज़ किया और उसके लिए ऐसा बारीक और मजबूत तथा बेहतर सिस्टम बनाया जो प्यार और मोहब्बत और दया की छाया में पति -पत्नी में हर एक के अधिकार का पूरा ख्याल रखता है। और उन्हें ऐसे अंदाज में बच्चे पैदा करने पर उभरता है जिससे उन्हें बच्चों की जरूरत और उनकी इच्छा महसूस हो। और वह इस नेमत पर अपने अल्लाह का शुक्रिया अदा करें।
इसीलिए नबी ए करीम सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया: "ज़्यादा प्यार करने वाली और ज़्यादा बच्चे पैदा करने वाली औरतों से शादी करो। क्योंकि मैं (क़यामत के दिन) तुम्हारे ज़्यादा होने की वजह से दुसरी उम्मतों पर गर्व करूंगा।" लिहाजा बांझ और बच्चे पैदा ना करने वाली औरत से शादी की मनादी के बारे में नबी ए करीम सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम की यह साफ वसियत है।
ह़दीस़ शरीफ में "अल वदूद" शब्द आया है जिसका मतलब है जो अपने पति, पड़ोसियों, उसके रिश्तेदारों और अपने रिश्तेदारों से ज्यादा मोहब्बत करती हो। जिसकी फितरत में मोहब्बत हो। बनावटी मोहब्बत न हो। क्योंकि बनावटी मोहब्बत का जल्द ही भांडा फूट जाता है जिसके कारण फिर उसे पति और उसके घर वालों के सामने बेइज्जती का सामना करना पड़ता है। और फिर नतीजा यह होता है कि हालात बिगड़ जाते हैं और बुरी स्थिति हो जाती है। क्योंकि तबीयत और फितरत बनावटी आदत पर हमेशा गालिब आ जाती है।
तथा हदीस पाक में "अल वलूद" का शब्द आया है। इसका मतलब है वह औरत जो ज्यादा बच्चे पैदा करती हो यानी एक साल में एक बार जानती हो जिसकी वजह से उसका पति उससे खुश हो जाता है खासतौर पर जब कि वह बच्चा लड़का हो। क्योंकि अरब के लोग पहले भी लड़कियों से ज्यादा लड़कों को पसंद करते थे और अभी भी। हालांकि लड़कियाँ माता-पिता के लिए दुनिया में भी भलाई हैं और आखिरत में भी। काश इस तरह के लोग यह जान पाते।
नबी ए करीम सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम वाले ने ज्यादा बच्चे पैदा करने वाली औरतों से शादी करने पर उभारा है ताकि नेक नस्ल (वंश) ज़्यादा हो और आप सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम कयामत के दिन अपनी उम्मत के ज़्यादा होने की वजह से दूसरी उम्मतों पर गर्व करें।
और हाँ जहाँ तक बुरी नस्ल का सवाल है तो नबी ए करीम सल्लल्लाहू का उससे कोई नाता नहीं है। न ही वह आपको जानती है और न ही आप सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम। लिहाज़ा वह ऐसे ही है जैसे कि बाढ़ का कूड़ा-कचरा जिसमें राई के दाने बराबर भी इस्लाम नहीं है।