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(131) ऐ अल्लाह! मैं तुझसे इसकी भलाई और वह भलाई मांगता हूँ जिस पर तू ने इसे पैदा किया है।

433 2020/09/06
(131) ऐ अल्लाह! मैं तुझसे इसकी भलाई और वह भलाई मांगता हूँ जिस पर तू ने इसे पैदा किया है।

عَنْ عَمْرِو بْنِ شُعَيْبٍ عَنْ أَبِيهِ عَنْ جَدِّهِ أَنَّ النَّبِيِّ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ قَالَ:

"إِذَا تَزَوَّجَ أَحَدُكُمْ امْرَأَةً، أَوْ اشْتَرَى خَادِمًا، فَلْيَقُلْ: اللَّهُمَّ إِنِّي أَسْأَلُكَ خَيْرَهَا وَخَيْرَ مَا جَبَلْتَهَا عَلَيْهِ، وَأَعُوذُ بِكَ مِنْ شَرِّهَا وَشَرِّ مَا جَبَلْتَهَا عَلَيْهِ. وَإِن اشْتَرَى بَعِيرًا، فَلْيَأْخُذْ بِذِرْوَةِ سَنَامِهِ، وَلْيَقُلْ مِثْلَ ذَلِكَ".

: ह़ज़रत अ़म्र बिन शुऐ़ब अपने पिता से और उनके पिता उनके दादा से उल्लेख करते हैं

तर्जुमा कि नबी ए करीम सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया:"जब तुम में से कोई व्यक्ति शादी करे या कोई गुलाम खरीदे तो यह दुआ़ पढ़े: "اللَّهُمَّ إِنِّي أَسْأَلُكَ خَيْرَهَا وَخَيْرَ مَا جَبَلْتَهَا عَلَيْهِ وَأَعُوذُ بِكَ مِنْ شَرِّهَا وَمِنْ شَرِّ مَا جَبَلْتَهَا عَلَيْهِ" उच्चारण: अल्लाहुम्मा इन्नी अस्अलुका खैरहा व खैरा मा जबल्तहा अलैहि, व अऊज़ो बिक मिन शर्रिहा व मिन शर्रे मा जबल्तहा अलैहि।

 अर्थ : "ऐ अल्लाह! मैं तुझसे इसकी भलाई और वह भलाई मांगता हूँ जिस पर तू ने इसे पैदा किया है। तथा मैं इसकी बुराई और उस बुराई से तेरे शरण में आता हूँ जिस पर तू ने इसे पैदा किया है।" और अगर ऊंट खरीदे तो उसके कोहान को पकड़ कर यह दुआ़ पढ़े।"

और एक दुसरी रिवायत में है: "फिर और पत्नी और गुलाम के सामने के भाग (पेशानी) को पकड़ कर बरकत की दुआ़ करे।"

नेक पत्नी दुनिया की भालाईयों में से एक बड़ी भलाई और मर्द पर अल्लाह की नेमतों में से एक महान नेमत है। क्योंकि वह इसके साथ मानसिक और शारीरिक सुकून और इत्मीनान महसूस करता है जिसमें अपनी जान और तसल्ली पाता है। अपने बच्चों की परवरिश, अपने घर की सुरक्षा और अपने मामलों में उस पर भरोसा करता है। उससे उसे हर वह चीज मिलती है जिसकी हर मर्द अपनी उस पत्नी से इच्छा रखता है जिसे हासिल करने में वह अपनी सारी कोशिश है लगा देता है। लिहाज़ा नेक महिला नेकी व परहेज़गारी के बाद एक मर्द को नसीब होने वाली सबसे बड़ी दौलत है।

नबी ए करीम सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम के फ़रमाने "तुम में से कोई व्यक्ति जब किसी औरत से शादी करे।" का मतलब है कि जब वह औरत उसके पास आए और अपने आप को उसे सौंप दे तो वह अल्लाह की दिल और ज़ुबान से तारीफ बयान करे। और नबी ए करीम सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम पर दुरूद भेजने के बाद उसके माथ पर हाथ रख कर ह़दीस़ शरीफ में आई हुई दुआ पढ़े।

नबी ए करीम सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम के फ़रमान: "ऐ अल्लाह! मैं तुझसे इसकी भलाई और वह भलाई मांगता हूँ जिस पर तू ने इसे पैदा किया है।" का मतलब है कि मैं तुझ से यह दुआ करता हूँ कि जो भलाई इसके अंदर है उससे मुझे फायदा पहुंचा। इसके जरिए तू मुझे हराम व नाजायज काम से बचा। हराम चीजों को देखने से मुझे दूर रख। इसके धन और सुंदरता से -जब के धन और सुंदरता वाली- हो मुझे फायदा पहुंचा। इसके द्वारा मेरी तन्हाई में सुकून पैदा फरमा। मेरे गम को दूर कर। इसे पहले अपनी आज्ञा का पालन करने की और बाद में मेरी आज्ञा का पालन करने की क्षमता अता फरमा। इसके द्वारा मुझे बेटियाँ और बेटे दे। और इन जैसी दुसरी नेक दुआएं जो भी दुआ करने वाले पति के दिमाग में आएं। क्योंकि शब्द "भलाई" पिछली तमाम चीजों को शामिल है और इनके अलावा को भी।

तो जब-जब दुआ करने वाला इस दुआ़ को करेगा चाहे इन शब्दों के साथ करे या इनके मानों के साथ तो यह अल्लाह के यहाँ पसंदीदा होगा। और इस दुआ को दोहराना इंशाअ अल्लाह उसके स्वीकार होने का कारण होगा। और ताकि पति की यह दुआ़ कुबूल हो तो उसके लिए यह भी जरूरी है कि वह अपनी पत्नी के लिए भी यह दुआ करे कि अल्लाह उसे उसकी भलाई दे और उसकी बुराई से उसे सुरक्षित रखे। और औरत के लिए भी यह मुस्ताहब (पसंदीदा) है कि वह भी अपने लिए ऐसी ही दुआ करे जैसे कि उसका पति अपने लिए कर रहा है।

ऐसी स्थिति में दुआ़ करने से पति-पत्नी को इत्मीनान और सुकून हासिल होगा और उनके दरमियान मोहब्बत बढ़ेगी। क्योंकि उनमें से हर एक को दूसरे से हमेशा भलाई ही मिलने का एहसास होगा।

यह दुआ सिर्फ पहली मुलाकात ही तक सीमित नहीं है बल्कि पति-पत्नी में से जब भी किसी को दूसरे की तरफ से किसी तरह की बुराई महसूस हो या बुराई आने का खतरा हो तो वह यह दुआ करें। हाँ अलबत्ता पहली मुलाकात में यह दुआ जरूर करें।

पैगंबर हज़रत मुहम्मद के समर्थन की वेबसाइटIt's a beautiful day