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(132) औरतों में जाने से बचो।

241 2020/09/06
(132) औरतों में जाने से बचो।

عَنْ عُقْبَةَ بْنِ عَامِرٍ– رَضِيَ اللَّهُ عَنْهُ – أَنَّ رَسُولَ اللَّهِ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ قَالَ:

"إِيَّاكُمْ وَالدُّخُولَ عَلَى النِّسَاءِ" فَقَالَ رَجُلٌ مِنْ الْأَنْصَارِ: يَا رَسُولَ اللَّهِ! أَفَرَأَيْتَ الْحَمْوَ قَالَ الْحَمْوُ الْمَوْتُ".

तर्जुमा: ह़ज़रत उ़क़बा बिन आ़मिर रद़ियल्लाहु अ़न्हु बयान करते हैं कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया:

"औरतों में जाने से बचो।" तो एक अंसारी सहा़बी ने पुछा: "ए अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु! देवर (या जेठ) के बारे में आप क्या कहते हैं? (वह अपने भाभी के पास जा सकता है या नहीं?)" तो नबी ए करीम सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम ने फ़रमाया: "देवर (या जेठ) तो मौत (तबाही) है।"

इस्लाम हमेशा इज्जत और आबरू की हिफाजत करता है और हमेशा बुराई, छेड़छाड़ और उसे हर तरह की अफवाह से बचाने की कोशिश में रहता है।

एक सच्चे मोमिन के लिए उसके धर्म और उसकी इज्जत से बढ़कर कोई चीज नहीं है। उसका धर्म ही उसके मामले की सुरक्षा और उसकी बुद्धि और सोच का बादशाह है। उसके आदेशों का पालन करने में कभी कोताही नहीं करता है। न ही अपने अल्लाह के अधिकार में कमी करता है और न ही अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम की सुन्नतों में लापरवाही बरतता है। धर्म और इज्जत आबरू की हिफाज़त ही के मकसद से नबी ए करीम सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम ने शक में पढ़ने से चेतावनी दी। क्योंकि शक ज्यादातर हराम काम करने या अफवाह फैलाने का कारण होता है। और इसी कारण से नबी करीम ए सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम ने अजनबी औरतों के पास जाने से मना किया। क्योंकि सिर्फ उनके पास जाना ही संदेह या शक का कारण है। और हो सकता है कि वह फितने में पड़ जाए खासकर जब आना जाना इतना ज्यादा हो जाए कि विशेष समाज में भी उसको बुरा न समझा जाए हालांकि ऐसे गलत समाज का कोई ऐतबार नहीं न तो धार्मिक किसी मामले में और न ही दुनियावी किसी मामले में।

और जो ऊपर बयान की हुई ह़दीस़ शरीफ में सोच विचार करे तो उसे अच्छी तरह यह पता चल जाएगा कि कब औरतों के पास जाना चाहिए और कब नहीं। किन औरतों के पास जाना जायज है और किन के नहीं। और शादी के लिए किन शर्तों का पाया जाना जरूरी है। तथा यह भी जान लेगा कि इस और इस जैसी दुसरी वसियतों की आज्ञा का पालन करने में लापरवाही बरतने से आने वाले और जिसके पास आ रहा है उसके लिए कितना बड़ा खतरा है।

अगर कोई व्यक्ति अपने लिए मौत का खौफ खाता है तो उसे अपने आप पर, अपनी पत्नी और अपनी इज्जत और आबरू पर उस करीबी व्यक्ति से खौफ खाना चाहिए कि जो इजाजत या बिना इजाजत के जब चाहे घर में घुसा चला आता है कि जिसे समाज में बुरा नहीं समझा जाता। और जब उससे इस बारे में पूछा जाए या मना किया जाए या शर्म दिलाई जाए तो कहता है: "तुम्हें क्या? यह तो मेरे भाई का घर है। इसमें तो मेरी भाभी रहती हैं। कोई अंजान औरत थोड़ी है।" आदि आदि उल्टे सीधे जवाब देता है।

मेरे प्यारे भाई याद रखो कि हक और सही बात इसके ज्यादा लायक है कि उसे अपनाया जाए। और हक बात यही है कि बिना इजाजत आने वाले व्यक्ति से अपने घर को बचाओ खासकर अपने और अपनी पत्नी के रिश्तेदारों या मिलने जुलने वालों से।

पैगंबर हज़रत मुहम्मद के समर्थन की वेबसाइटIt's a beautiful day