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(135) बुरे गुमान (या बुरी सोच व शक) से बचो।

283 2020/09/06
(135) बुरे गुमान (या बुरी सोच व शक) से बचो।

عَنْ أَبِي هُرَيْرَةَ – رَضِيَ اللَّهُ عَنْهُ – أَنَّ رَسُولُ اللَّهِ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ قَالَ:

"إِيَّاكُمْ وَالظَّنَّ؛ فَإِنَّ الظَّنَّ أَكْذَبُ الْحَدِيثِ، وَلَا تَحَسَّسُوا، وَلَا تَجَسَّسُوا، وَلَا تَبَاغَضُوا، وَلَا تَدَابَرُوا، وَكُونُوا عِبَادَ اللَّهِ إِخْوَانًا".

तर्जुमा: ह़ज़रत अबू हुरैरा रद़ियल्लाहु अ़न्हु बयान करते हैं कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया

:"बुरे गुमान (या बुरी सोच व शक) से बचो। क्योंकि बुरा गुमान सबसे बड़ा झूठ है। आपस में एक दूसरे की बुराई न ढूंढो। न एक दूसरे की जासूसी करो। न एक दूसरे से नफरत करो। और न ही पीठ पीछे किसी की बुराई करो। (या न एक दूसरे से पीठ फेरो।) बल्कि अल्लाह के बंदे भाई भाई हो जाओ।"

इस्लामी शरीयत के आदेश और नियम सच और यकीन पर आधारित हैं न कि गुमान और अंदाजे पर। इसीलिए इस्लाम के अक़ीदे और शरियत के नियम निश्चित और यकीनी हैं। न इसमें कोई शक है और न किसी तरह का कोई विरोधाभास (इख्तिलाफ)।

इस्लाम मुसलमान को शक और उसकी तबाह कारियों, नफ्स के खतरों और शैतान की चालों और उसके वसवसों से महफूज रखता है। इंसान अपने दिल का कैदी होता है। अगर दिल सही है तो इंसान भी सही है और अगर दिल खराब है तो इंसान भी खराब है। और दिल उसी समय सही हो सकता है जबकि वह बिना वजह के इधर-उधर से आने वाले शकों और संदेहों को छोड़ दे। क्योंकि इस तरह के शक और संदेह दिल गंदा कर देते हैं और उसकी चमक-दमक और इत्मीनान व सुकून को खत्म कर देते हैं। इसीलिए नबी ए करीम सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम ने इस वसियत के अंदर बुरी सोच या बुरा गुमान करने से सख्त तौर पर मना फ़रमाया। अतः आप सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम ने फरमाया: "बुरे गुमान से बचे रहो। क्योंकि बुरा गुमान सबसे बड़ा झूठ है।"

बुरा गुमान अल्लाह के यहाँ भी सबसे बड़ा झूठ है और लोगों के यहाँ भी।

याद रहे कि गुमान दो तरह का होता है एक तो अच्छा गुमान जो भलाई का कारण होता है और बुरी आस्था तक पहुंचाने वाले शक को दूर रखता है।

और दूसरा बुरा गुमान जो इज्जत व आबरू से खिलवाड़, मासूमों के साथ धोखाधड़ी और लोगों के दरमियान फितने व फसाद का कारण होता है।

हमें मालूम है कि दिल की सच्चाई ही द्वारा आखिरत में बंदे को अल्लाह के आजाब से छुटकारा मिलेगा। लिहाज़ा हर मुसलमान को चाहिए कि जहाँ तक हो सके वह अपने मुसलमान भाई के बारे में अच्छा सोचे।

अगर आपके दिल में कोई बुरा गुमान या बुरी सोच बैठ जाए तो जासूसी और कमियाँ तलाश करके उसकी तहकीक करने की कोशिश न करें। और अगर आपको किसी चीज से अपशगुनी महसूस हो तो आप उसे शुभ में बदल दें और अल्लाह पर भरोसा रखते हुए गुज़र जाएं।

पैगंबर हज़रत मुहम्मद के समर्थन की वेबसाइटIt's a beautiful day