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(9) (सत्यनिष्ठा और धार्मिकता पर) सुदृढ़ और जमे रहो भले आप सभी अच्छे कार्यों को नहीं कर सकते।

214 2020/09/07
(9) (सत्यनिष्ठा और धार्मिकता पर) सुदृढ़ और जमे रहो भले आप सभी अच्छे कार्यों को नहीं कर सकते।

ह़ज़रत स़ोबान (अल्लाह उनसे राज़ी हो ) से रिवायत है वह कहते हैं:

अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अ़लैहि व सल्लम) ने फरमाया: (सत्यनिष्ठा और धार्मिकता पर) सुदृढ़ और जमे रहो भले आप सभी अच्छे कार्य नहीं कर सकते। जानिए कि आपके कर्मों में सबसे अच्छी चीज़ नमाज़ है और केवल मोमिन व्यक्ति ही हमेशा वुज़ू की सुरक्षा व हिफ़ाज़त कर सकता है।"

(सत्यनिष्ठा और धार्मिकता पर) सुदृढ़ता और जमे रहने का मतलब अल्लाह की आज्ञा का पालन करना, सीधे और सही मार्ग पर साबित रहना, जब भी इन्सान का नफ्स सही रास्ते से भटक जाए या इच्छा व ख्वाहिश के अनुसार चले तो उसे सुधारना और सभी कार्यों में अच्छी नियत रखना (यानी सभी कामों को केवल अल्लाह के लिए ही करना न के लोगों के दिखाने के लिए।) है।

पैगंबर (सल्लल्लाहु अ़लैहि व सल्लम) ने अपने अनुयायियो व साथियों और बाद में आने वाले लोगों को (सत्यनिष्ठा और धार्मिकता पर) सुदृढता और जमे रहने की वसीयत की, क्योंकि यह उन महान वसीयतों और आज्ञाऔं में एक है जो नबी (सल्लल्ललाहु अ़लैहि वसल्लम)को पवित्र क़ुरआन में अपने अल्लाह से मिलीं, अतः अल्लाह ने पवित्र क़ुरआन में फरमाया :

فَاسْتَقِمْ كَمَا أُمِرْتَ وَمَن تَابَ مَعَكَ وَلَا تَطْغَوْا ۚ إِنَّهُ بِمَا تَعْمَلُونَ بَصِيرٌ  अतः (ऐ नबी! तुम) जमे रहो जैसा तुम्हें आदेश है और जो तौबा करके तुम्हारे साथ हो गया है, और (ऐ लोगों!) सीमाओं का उल्लंघन न करो। सचमुच वह (अल्लाह ) तुम्हारे काम देख रहा है।

(सूरए हूद: 112)                 

अतः यह आयत उनमें सबसे सख्त आयत है जो नबी (सल्लल्ललाहु अ़लैहि व सल्लम) ने अपने अल्लाह से प्राप्त कीं। इसके लिए आपका दिल झुक गया और इसकी महानता से आपके अंग काप गए, तो आपने इसे अच्छी तरह से समझा और इसका पालन किया और इसी के अनुसार काम किया और आपके अनुयायि और साथी आपकी पैरवी करते थे इसलिए वे भी महान नैतिकता और अच्छे एख़लाक वाले हुए।

पैगंबर हज़रत मुहम्मद के समर्थन की वेबसाइटIt's a beautiful day