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(15) ऊपर वाला (देने वाला) हाथ नीचे वाले (लेने वाले) हाथ से बेहतर है।

560 2020/09/07
(15) ऊपर वाला (देने वाला) हाथ नीचे वाले (लेने वाले) हाथ से बेहतर है।

ह़ज़रत अबु उमामह अल बाहिली (अल्लाह उनसे राज़ी हो) से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अ़लैहि व सल्लम) ने फ़रमाया:

ऐ आदम के बेटे! अगर तू अपनी ज़रूरत से बचा हुआ माल (अल्लाह के लिए) खर्च करेगा तो यह तेरे लिए बेहतर है। और अगर उसे रोके रखेगा तो यह तेरे लिए बुरा है, और अपनी ज़रूरत भर माल रोकने पर तेरी निंदा (मलामत) नहीं की जाएगी, और उससे आरम्भ (शुरू) करो जिसका खर्चा तुम्हारे ज़िम्मे में है। और ऊपर वाला (देने वाला) हाथ नीचे वाले (लेने वाले ) हाथ से बेहतर है।" (मुस्लिम)

इस ह़दीस़ में ज़िम्मेदार व्यक्तियों के लिए उनके आश्रितों (यानी जिन लोगों के खर्च की उनके ऊपर ज़िम्मेदारी है ) प्रति वसीयत व नसीहत है कि वे अपने आश्रितों पर ध्यान दें, उनके मामलों की देखभाल करें, क्योंकि वे दुनिया और आखिरत (परलोक) में उनके जिम्मेदार होंगे। और वे आश्रितों (यानी जिन लोगों के खर्च की उसके ऊपर ज़िम्मेदारी है) उसके बच्चे, पत्नियां और वे लोग जिनका खर्च उसके ऊपर है जैसे माता-पिता और बहनें जिनकी देखभाल करने वाला उसके अलावा दुसरा कोई नहीं है।

उन्होंने इस वसीयत को उन वाक्यांशों के साथ शुरू किया जो ज़रूरत से बचे हुए धन को बोझ, ज़बरदस्ती और बर्बादी (फ़िज़ूल ख़र्ची) के बिना खर्च करने के लिए उभारते हैं। और फिर ऐसी महान हि़कमत (बोध) के साथ उसे समाप्त किया जिसने इसे सम्मान,आत्म-संयम (क़नाअ़त), स्वयं की शुद्धता (पाक दामनी ) और अपनी हेसियत भर गरीब पर खर्च करने बारे में कहावत बना दिया है।

पैगंबर हज़रत मुहम्मद के समर्थन की वेबसाइटIt's a beautiful day