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  2. (24 ) तुम अपनी फिफ्र करो।

(24 ) तुम अपनी फिफ्र करो।

185 2020/09/07
(24 ) तुम अपनी फिफ्र करो।

ह़ज़रत अबु उमामह शअ़बानी से रिवायत है वह कहते हैं कि मैंने अबु स़अलबा खु़शनी से पूछा:

عَلَيْكُمْ أَنفُسَكُمْ (तुम अपनी फिफ्र करो।)  इस आयत के बारे में तुम क्या कहते हो? तो उन्होंने कहा: अल्लाह की क़सम तुमने इसके बारे में एक अच्छे जानने वाले व्यक्ति से पूछा है। मैंने अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अ़लैहि व सल्लम) से इसके बारे में पूछा था, तो उन्होंने फ़रमाया: "बल्कि तुम अच्छाई का आदेश दो और बुराई से मना करो। यहाँ तक कि जब तुम देखो की लोग लालच और ख्वाहिश नफ़सानी के पीछे भाग कर रहे हैं, दुनिया को (आखिरत व परलोक के प्रति) अच्छा समझ रहे हैं और हर व्यक्ति अपनी राय व विचार से खुश हो रहा है, तो (ऐसी स्थिति में) तुम केवल अपने आप की फिक्र करो और जनता को जो कर रही है करने दो। क्योंकि तुम्हारे बाद सब्र (सहने) के दिन आएंगे, उनमें सब्र करना इतना मुश्किल होगा जैसे कि हाथ में अंगारे रखना, उस समय (कुरआन व सुन्नत के अनुसार) एक अ़मल करने वाले व्यक्ति को तुम जैसे पचास लोगों के अ़मल करने के बराबर स़वाब व पुण्य मिलेगा।" (त़ह़ावी, शरह़ मुश्किल अल आस़ार, सह़ीह)

फितनों (राज-द्रोहों) के बारे में बहुत ह़दीस़ें हैं। और जब वे पाए जाएं तो उनका समना करने के तरीकों के बारे में भी अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अ़लैहि व सल्लम) की बहुत सी वसीयतें व नसीहतें हैं। क्योंकि अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अ़लैहि व सल्लम) मुसलमानों पर बहुत ज़्यादा दयालु हैं। अतः उन्हें इस बात का डर हुआ कि कहीं उनके दीन व धर्म में कोई फितना पैदा ना हो जाए जो उनके ईमान को नुकसान पहुंचाए, या उन्हें परेशानी और मुसीबत में डाल दे जिसे वे बर्दाश्त ना कर सकें, इसलिए अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अ़लैहि व सल्लम) उन्हें जो पिछ्ले लोगों के साथ हुआ उसकी और जो उनके बाद आने वाले समय में मामले होंगे जिन्हें वे पंसद नहीं करते हैं, उनकी खबर देते थे। और आपके सह़ाबा (साथी) आपसे आने वाले समय की बातों के बारे में पूछते थे, तो आप उनके सवालों के जवाब देते बल्कि उनके पूछने से ज़्यादा बताते थे, और जो कुछ आप फितनों के बारे में बताते थे तो आपके कुछ साथियों को उसे याद करना और फिर उसे लोगों को बताना बहुत अच्छा लगता था जैसे ह़ुज़ेफ़ा बिन अल यमान, अबु स़अलबा खु़शनी जिनसे यह ह़दीस़ उल्लेख है, आदि।

और हमें आने वाले समय में होने वाले उन फितनों के जानने की बहुत ज़रूरत है जिनके बारे में अल्लाह और उसके प्यारे रसूल ने हमें बताया, ताकि उनसे हम होशियार हो जाएं और उनका समना करने या उन से दूर रहने की तैयारी रखें।

पैगंबर हज़रत मुहम्मद के समर्थन की वेबसाइटIt's a beautiful day