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(137) सोदा बेचते समय ज़्यादा कसमें न खाया करो।

165 2020/09/22
(137) सोदा बेचते समय ज़्यादा कसमें न खाया करो।

عَنْ أَبِي قَتَادَةَ الْأَنْصَارِيِّ، أَنَّهُ سَمِعَ رَسُولَ اللَّهِ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ يَقُولُ:

"إِيَّاكُمْ وَكَثْرَةَ الْحَلِفِ فِي الْبَيْعِ، فَإِنَّهُ يُنَفِّقُ ثُمَّ يَمْحَقُ".

तर्जुमा: ह़ज़रत अबू क़तादह अंसारी बयान करते हैं कि उन्होंने अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम को सुना कि आप सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया: "सोदा बेचते समय ज़्यादा कसमें न खाया करो। क्योंकि (झूठी) कसम से सामान तो बिक जाता है लेकिन बरकत खत्म हो जाती है।"

बाजारों वगैरह में व्यापारियों की आदत होती है कि वे अपने सामानों और सौदों को बढ़ावा देने के लिए और लालच और हड़प की वजह से अपनी तरफ से बढा़ई हुई कई गुना ज्यादा कीमतों में ही लोगों को अपना सामान खरीदने पर तैयार करने के लिए तरह-तरह की बड़ी-बड़ी कसमें खाते और हर तरह की चालें चलते हैं। और इसकी कुछ परवाह नहीं करते कि वह कितने कितने बड़े गुनाह कर रहे हैं जो कि दुनिया और आखिरत दोनों में उनके नुकसान का कारण हैं।

उन्हीं बड़े गुनाहों में से एक यह भी है कि वह अल्लाह की बहुत ज्यादा कसमें खाते हैं हालांकि अल्लाह की कसम खाने से मना किया गया है सिवाय जरूरत के समय के जैसे कि किसी पर उसके धर्म या उसकी इज्जत के मामले में तोहमत लगाई जाए या उस पर चोरी चोरी का आरोप लगाया जाए तो ऐसी सूरत में बादशाह या जज उसे कसम खाने का हुक्म देगा या फिर दावा करने वाले से कसम खाने को कहेगा जबकि उसे लगता हो कि कसम खाने से वह बरी हो जाएगा।

और चूंकि व्यापार में जानबूझकर या बिना जानबूझे बेचने और खरीदने वाले दोनों बहुत ज्यादा कसमें खाते हैं। इसीलिए नबी ए करीम सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम ने इससे सख्त तरह से मना फ़रमाया और इसके अंजाम से डराया। और बयान किया कि इससे बरकत और उसके आसार खत्म हो जाते हैं। लिहाज़ा न तो फायदा जायज होता है और ना लाभदायक। बल्कि नुकसान कसम खाने वाले जूते के तसमे (फीते) से भी ज्यादा करीब रहता है। और उसे उस समय मायूसी का सामना करना पड़ता है जबकि उसे गुमान भी नहीं होता।

लिहाज़ा व्यापार के नियमों में से यह भी है कि अल्लाह के साथ और लोगों के साथ हमेशा सच्चाई और ईमानदारी से काम लिया जाए इस तरह की धोखाधड़ी और विश्वासघात न किया जाए और न ही सोदे को बढ़ावा देने के लिए गलत तरीकों का इस्तेमाल किया जाए।

याद रखें कि सच्चाई के लिए ईमानदारी ऐसे ही है जैसे कि बदन के लिए आत्मा। लिहाज़ा न तो सच्चाई के बगैर ईमानदारी पाई जा सकती है और न ही ईमानदारी के बिना सच्चाई पाई जा सकती है।

    और व्यापार जैसा कि हमें मालूम है दो धारी तलवार है। या तो व्यापारी बेचते और खरीदते समय सच बोले, जहाँ तक हो सके न्याय से काम ले और हर सूरत में ईमानदारी का ख्याल रखे। और इस तरह से दुनिया और आखिरत दोनों में महान कामयाबी हासिल करे। या फिर धोखाधड़ी और विश्वासघात करे और छोटी-बड़ी चीज पर बहुत ज्यादा कसमें खाए और दुनिया और आखिरत दोनों में बड़ा नुकसान उठाए।

ए मेरे प्यारे भाई! याद रखो कि व्यापार दो तरह का है: एक अल्लाह के साथ और दूसरा लोगों के साथ। लिहाज़ा दूसरे के चक्कर में पढ़कर पहले को भूल मत जाना। बल्कि उन लोगों में से हो जाओ जो जिन्हें दुनिया का व्यापार और उसका धन आखिरत के व्यापार और उसके धन से अंजान नहीं करता है।

पैगंबर हज़रत मुहम्मद के समर्थन की वेबसाइटIt's a beautiful day