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(139) गुस्सा शैतान से है।
عَنْ أَبِي ذَرٍّ – رَضِيَ اللَّهُ عَنْهُ – قَالَ:
إِنَّ رَسُولَ اللَّهِ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ قَالَ لَنَا: "إِذَا غَضِبَ أَحَدُكُمْ وَهُوَ قَائِمٌ فَلْيَجْلِسْ، فَإِنْ ذَهَبَ عَنْهُ الْغَضَبُ وَإِلَّا فَلْيَضْطَجِعْ".
तर्जुमा: ह़ज़रत अबू ज़र रद़ियल्लाहु अ़न्हु बयान करते हैं कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया: "जब तुम में से किसी को गुस्सा आ जाए और वह खड़ा हो तो बैठ जाए। अगर बैठ जाने से गुस्सा खत्म हो जाए तब तो ठीक है वरना तो लेट जाए।"
وَعَنْ أَبي وَائِلٍ الْقَاصُّ قَالَ:
دَخَلْنَا عَلَى عُرْوَةَ بْنِ مُحَمَّدٍ السَّعْدِيِّ فَكَلَّمَهُ رَجُلٌ فَأَغْضَبَهُ، فَقَامَ فَتَوَضَّأَ، ثُمَّ رَجَعَ وَقَدْ تَوَضَّأَ فَقَالَ: حَدَّثَنِي أَبِي عَنْ جَدِّي عَطِيَّةَ، قَالَ : قَالَ رَسُولُ اللَّهِ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ: "إِنَّ الْغَضَبَ مِنْ الشَّيْطَانِ، وَإِنَّ الشَّيْطَانَ خُلِقَ مِنْ النَّارِ، وَإِنَّمَا تُطْفَأُ النَّارُ بِالْمَاءِ، فَإِذَا غَضِبَ أَحَدُكُمْ فَلْيَتَوَضَّأْ".
तर्जुमा: और ह़ज़रत अबू वाईल क़ास (कहानी सुनाने वाले) बयान करते हैं कि हम अ़म्र बिन मुह़म्मद सअ़दी के पास गाए। तो एक व्यक्ति ने उनसे कुछ बात कही जिसके कारण उन्हें गुस्सा आ गया तो उस पर उन्होंने वुज़ू किया। जब वह वुज़ू करके वापस आए तो बोले मुझसे मेरे पिता ने मेरे दादा ह़ज़रत अ़त़ियह से उल्लेख ह़दीस़ बयान की कि उन्होंने कहा कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया:"गुस्सा शैतान से है और शैतान आग से पैदा किया गया है और आग पानी से बुझाई जाती है। लिहाज़ा जब तुम में से किसी को गुस्सा आ जाए तो फौरन वुज़ू कर ले।"
गुस्सा एक बहुत बड़ी आफत है जो इंसान की बुद्धि छीन लेता है और उसकी प्रेमपूर्ण भावनाओं को नष्ट करके उसके अंदर दुख और गम भर देता है।
गुस्सा (क्रोध) जिस तरह मानसिक और मनोवैज्ञानिक ताकतों को प्रभावित करता है इसी तरह तंत्रिका शक्तियों और रक्त वाहिकाओं को भी प्रभावित करता है। जिससे क्रोधी व्यक्ति के इन अंगों में बैचेनी पैदा हो जाती है, ब्लड प्रेशर हाई हो जाता है और दिल की धड़कने बढ़ जाती हैं।
लिहाज़ा मुसलमान -बल्कि हर इंसान- को चाहिए कि वह जहाँ तक हो सके हमेशा गुस्से के कारणों और उसकी जगहों से बचे।
ज्यादातर बीमारियाँ जो इंसान को लगती हैं वह गुस्से की वजह से होती हैं जैसा के डॉक्टर्स कहते हैं।
ए मेरे प्यारे मुसलमान भाई! ईमान और हिम्मत और हौसले के एतवार से ताकतवर मोमिन वही है जो गुस्से के समय अपने आप को काबू में रखे, बिखरने से पहले अपने आपको संभाल ले और खामोशी और इत्मीनान व सुकून के साथ सामने वाले का सामना करने से अपने आप को पीछे हटा ले ताकि उसकी बुराई से भी महफूज रहे और अपने गुस्से की आफत से भी जिसने उसे पागल कर दिया है।
गुस्से का एक इलाज यह भी है कि शैतान से अल्लाह की पनाह (यानी शरण) मांगे। क्योंकि जो अल्लाह की पनाह मांगता है अल्लाह उसे अपनी पनाह में ले लेता है और जिस चीज से पनाह मांग रहा है उससे उसकी हिफाजत फरमाता है।