1. फोटो एल्बम
  2. (147) सदक़े (दान) को वापस लेने वाला उस कुत्ते की तरह है जो अपनी उल्टी खा लेता है।

(147) सदक़े (दान) को वापस लेने वाला उस कुत्ते की तरह है जो अपनी उल्टी खा लेता है।

242 2020/09/22
(147) सदक़े (दान) को वापस लेने वाला उस कुत्ते की तरह है जो अपनी उल्टी खा लेता है।

عُمَرَ بْنَ الْخَطَّابِ – رَضِيَ اللَّهُ عَنْهُ – قَالَ:

حَمَلْتُ عَلَى فَرَسٍ عَتِيقٍ فِي سَبِيلِ اللَّهِ، فَأَضَاعَهُ صَاحِبُهُ، فَظَنَنْتُ أَنَّهُ بَائِعُهُ بِرُخْصٍ، فَسَأَلْتُ رَسُولَ اللَّهِ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ عَنْ ذَلِكَ؟ فَقَالَ: "لَا تَبْتَعْهُ وَلَا تَعُدْ فِي صَدَقَتِكَ، فَإِنَّ الْعَائِدَ فِي صَدَقَتِهِ، كَالْكَلْبِ يَعُودُ فِي قَيْئِهِ".

तर्जुमा: ह़ज़रत उ़मर बिन खत़्त़ाब रद़ियल्लाहु अ़न्हु बयान करते हैं: मैंने अल्लाह के रास्ते में एक अच्छा घोड़ा दे दिया। लेकिन उस घोड़े वाले ने (घास और दाने की लापरवाही से) उसको बर्बाद कर दिया। मैंने सोचा कि घोड़े वाला उसको कम कीमत पर बेच देगा। तो मैंने अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम से इस बारे में पूछा। तो आप सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम ने फ़रमाया: "उसको मत खरीदो और न ही अपने सदक़े (दान) को वापस लो। क्योंकि सदक़े को वापस लेने वाला उस कुत्ते की तरह है जो अपनी उल्टी खा लेता है।"

उपहार या तोहफा अगर खुदा की तरफ से हो तो वह कृपा है और अगर बंदे की तरफ से हो तो वह सद़का और एहसान है। अगर खुदा की तोफीक़ व मदद न मिले तो इंसान सदका़ या दान नहीं दे सकता। क्योंकि वह फितरती तौर पर लालची होता है। लिहाज़ा उपहार वास्तव में अल्लाह की तरफ से होता है और बंदे की तरफ से तो अलंकृति तौर पर होता है।

और जो हमेशा यह अपने दिमाग में कि रखे अल्लाह मुझे देख रहा है तो वह यह बात अच्छी तरह से जान लेगा और कभी अपने आप को देने वाला नहीं समझेगा बल्कि हमेशा अपने आपको लेने वाला ही समझेगा। और जो अपने आप का जायजा ले वह कभी लालच नहीं करेगा बल्कि उसे अपनी फितरत से उखाड़ फेंकेगा। और इसी सूरत में वह कामयाब भी होगा।

सखावत (उदारता) से इंसान को एक अलग ही प्रकार की खुशी मिलती है और उसे अलग ही सुकून और इत्मीनान महसूस होता है। यह विशेषता कुछ लोगों में तो फितरती होती है और कुछ लोग इसे हासिल करते हैं। और - अल्लाह की कृपा से- हासिल करने वाले ही ज्यादा हैं। तथा सखी आदमी फितरती तौर पर प्यारा होता है। याद रहे कि इस धरती पर तमाम लोगों यहाँ तक कि अंबिया ए किराम में भी सबसे बड़े दाता व सखी हमारे पैगंबर मुह़म्मद सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम हैं।

उपहार (तोहफे) में अस्ल यही है कि वापस न लिया जाए। हाँ अगर बेटे ने किसी को कुछ उपहार दिया और उसकी संपत्ति में बाप के अधिकार का सदेंह है। तो इमाम मालिक और उनके मुवाफिक उ़लमा ए किराम कुछ शर्तों के साथ उपहार की वापसी की इजाजत देते हैं। लेकिन हाँ किसी भी हालत में सदक़े (दान) की वापसी की मनादी के बारे में उ़लमा ए किराम का कोई इख्तिलाफ नहीं है। क्योंकि वह (सदका़ या दान) अब अल्लाह की खातिर सदका़ करने वाले की मिल्कियत से निकल चुका है।

पैगंबर हज़रत मुहम्मद के समर्थन की वेबसाइटIt's a beautiful day