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(151) खोई हुई चीज़ का मस्जिद में एलान करना मना है।
عَنْ أَبِي هُرَيْرَةَ رَضِيَ اللَّهُ عَنْهُ قَالَ: قَالَ رَسُولُ اللَّهِ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ
"مَنْ سَمِعَ رَجُلًا يَنْشُدُ ضَالَّةً فِي الْمَسْجِدِ، فَلْيَقُلْ: لَا رَدَّهَا اللَّهُ عَلَيْكَ. فَإِنَّ الْمَسَاجِدَ لَمْ تُبْنَ لِهَذَا".
तर्जुमा: हजरत अबू हुरैरह रद़ियल्लाहु अ़न्हु बयान करते हैं कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम ने फरमाया: "जो किसी को मस्जिद में खोई हुई चीज का ऐलान करता सुने तो उससे कहे: "अल्लाह करे तुझे यह न मिले।" क्योंकि मस्जिदें इस काम के लिए नहीं बनाई गई हैं।"
मस्जिदें नमाज़ पढ़ने, अल्लाह का ज़िक्र करने, क़ुरआन की तिलावत करने और दीन व दुनिया में फायदेमंद ज्ञान सीखने-सिखाने के लिए बनाई गई हैं। मस्जिदों का सम्मान करना अल्लाह की निशानिययों का सम्मान करना है तथा यह नेकी व परहेज़गारी की पहचान और उन चीजों से दिल की पाकी का सबूत है जो ईमान को गंदा और विश्वास की रोशनी को मेला कर देती हैं।
अल्लाह ने चाहा कि इन पवित्र घरों को हर उस चीज से साफ व पवित्र रखा जाए जिससे इनकी बेहुरमति होती हो और जो इनके सम्मान के खिलाफ हो और जो इनके मक़सदों के खिलाफ हो।
मुसलमान को जिन आदाब का मस्जिद में ख्याल करना चाहिए उन्हीं में से एक यह भी है कि वह वहाँ खोई हुई चीज का ऐलान न करे। क्योंकि मस्जिदें इस काम के लिए नहीं बनाई गई हैं। इस ह़दीस़ शरीफ में "द़ाल्लह" का शब्द आया है इसका मतलब है ऊंट या ऊंटनी और इन जैसे दूसरे जानवर।
लिहाज़ा खोए हुऐ ऊंट या गया या भैंस आदि का मस्जिद में ऐलान करना मकरूह तह़रीमी व नजायज है। ऐसा करने वाले को कहा जाए: "अल्लाह करे तुझे यह खोई हुई चीज न मिले।" क्योंकि मस्जिद में जानवर नहीं आते हैं और न ही वह खोई हुई चीज के बारे में ऐलान करने की जगह है। इसी तरह मस्जिद में निम्नलिखित चीज़ों को भी नहीं करना चाहिए: बेचना-खरीदना, व्यापार करना, शेर व शायरी करना, ऐसी बहस करना जो लड़ाई का कारण बने, ऊंची आवाज में हंसना और बात करना, बे फायदा बहुत ज्यादा बातचीत करना और बिना मजबूरी के सोना आदि दूसरे मामले जो मस्जिद के सम्मान और उसकी शान के खिलाफ हों।