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(157) हकदार आदमी को कहने-सुनाने का अधिकार होता है।

245 2020/10/03
(157) हकदार आदमी को कहने-सुनाने का अधिकार होता है।

عَنْ أَبِي هُرَيْرَةَ رَضِيَ اللَّهُ عَنْهُ:

أَنَّ رَجُلًا أَتَى النَّبِيَّ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ يَتَقَاضَاهُ فَأَغْلَظَ لَهُ، فَهَمَّ بِهِ أَصْحَابُهُ فَقَالَ رَسُولُ اللَّهِ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ: "دَعُوهُ؛ فَإِنَّ لِصَاحِبِ الْحَقِّ مَقَالًا، ثُمَّ قَالَ أَعْطُوهُ سِنًّا مِثْلَ سِنِّهِ، قَالُوا يَا رَسُولَ اللَّهِ، لَا نَجِدُ إِلَّا أَمْثَلَ مِنْ سِنِّهِ، فَقَالَ: أَعْطُوهُ؛ فَإِنَّ خَيْرِكُمْ أَحْسَنَكُمْ قَضَاءً".

तर्जुमा: ह़ज़रत अबू हुरैरह रद़ियल्लाहु अ़न्हु बयान करते हैं कि एक व्यक्ति नबी ए करीम सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम से अपना कर्ज़ा मांगने के लिए आया तो आपके साथ बड़ा सख्त व्यवहार किया। सह़ाबा ए किराम रद़ियल्लाहु अ़न्हुम गुस्सा हो कर उसकी तरफ बढ़े लेकिन आप सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम ने फरमाया: उसे जाने दो। क्योंकि हकदार आदमी को कहने-सुनाने का अधिकार होता है।" फिर आप सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया:" इसके (कर्ज वाले) जानवर की उम्र का एक जानवर इसे दे दो।" सह़ाबा ए किराम ने कहा: "ऐ अल्लाह के रसूल! उससे ज्यादा उम्र का ही जानवर मौजूद है। (और उस उम्र का नहीं है।)" आप सल्लल्लाहु वसल्लम ने फ़रमाया: "वही इसे दे दो। क्योंकि सबसे अच्छा आदमी वह है जो दूसरों का कर्ज़ा अच्छी तरह अदा करे।"

नबी ए करीम सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम के सभी अखलाक एक दूसरे से मिले थे जिनसे आप सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम की शख्सियत (व्यक्तित्व) तैयार हुई। लिहाज़ा आप सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम की हर आदत और हर विशेषता आपकी शख्सियत की चाबी है। क्योंकि आप सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम की तमाम आदतें और तमाम विशेषताएं मिलकर इंसानी बुलंदी और महानता के अंत को पहुंची हुई थीं। जैसा कि अल्लाह ने क़ुरआन शरीफ में आप सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम की विशेषता और अखलाक को बयान करते हुए इरशाद फ़रमाया:

وَإِنَّكَ لَعَلَىٰ خُلُقٍ عَظِيمٍ

(सूरह अल-क़लम, आयत संख्या:4)

तर्जुमा: यकीनन (ऐ मेर पैगम्बर) तुम महान अखलाक पर हो।

अगर आप नबी ए करीम सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम के बुलंद अखलाक और महान विशेषताएं बयान करना चाहें तो यह कह सकते हैं कि न्याय आपकी शरियत, दया और मेहरबानी आपकी जान व आत्मा, बर्दाश्त आपका इमाम और सखावत (उदारता) आपकी बेहतरीन आदत  थी।

आप सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम का अखलाक क़ुरआन था। आपने पूरे तौर पर उसे अपने लिए मार्गदर्शक बनाया और उसके हर शब्द शब्द का पालन किया। लिहाज़ा आप सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम की शख्सियत लोगों के दरमियान ऐसी मालूम होती थी कि जैसा कि उनके बीच क़ुरआन चल रहा हो और वे उसे अपनी आंखों से देख रहे और कानों से सुन रहे हों। आप सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम की शख्सियत खाकसारी और नर्म दिली यानी कोमलता में आदर्श है।

लिहाज़ा आप सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम अपनी मजलिस (सभा) में आजाद व दास, अच्छे नसब और कम नसब वाले और फकीर और मालदार किसी के दरमियान कोई अंतर नहीं रखते थे। क्योंकि सब अल्लाह के बंदे हैं। और उनमें वही बेहतर है जो सबसे ज्यादा परहेज़गार हो और अपने और दूसरों के लिए फायदेमंद हो।

याद रखें कि बिना इख्तिलाफ के नबी ए करीम सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम की शख्सियत सबसे महान है। और अच्छे व्यवहार और महान अखलाक में में सारी दुनिया के लोगों के लिए आदर्श व उदाहरण है।  लेकिन सिर्फ सच्चे और वफादार मुसलमान ही आपकी पैरवी करते हैं और आप के नक्शे कदम पर चलते हैं।

पैगंबर हज़रत मुहम्मद के समर्थन की वेबसाइटIt's a beautiful day