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(165) छ: चीजों से पहले-पहले नेक काम करलो।
عَنْ أنس بن مالك رَضِيَ اللَّهُ عَنْهُ عَنْ رَسُولَ اللَّهِ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ قَالَ: "بَادِرُوا بِالْأَعْمَالِ سِتًّا: طُلُوعَ الشَّمْسِ مِنْ مَغْرِبِهَا، أَوْ الدُّخَانَ، أَوْ الدَّجَّالَ، أَوْ الدَّابَّةَ، أَوْ خَاصَّةَ أَحَدِكُمْ، أَوْ أَمْرَ الْعَامَّةِ".
तर्जुमा: ह़ज़रत अनस बिन मालिक रद़ियल्लाहु अ़न्हु बयान करते हैं कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया:"छ:चीजों से पहले-पहले नेक काम करलो: सूरज के पश्चिम से निकलने, धुंआ उठने, (बोलने वाले) जानवर, दज्जाल (के निकलने), आदमी के निजी मामले (मौत आने) और आम लोगों के मामले से पहले पहले।"
नबी ए करीम सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम अपने सह़ाबा ए किराम रद़ियल्लाहु अ़न्हुम को कायनात में अल्लाह के यादगार दिनों और उसके तरीक़ो को याद दिलाते रहते थे। उन्हें छोटी-बड़ी क़यामत की निशानियों के बारे में बताते, छोटे-बड़े और छुपे-खुले फितनों के बारे में बताते रहते थे जिससे सह़ाबा ए किराम रद़ियल्लाहु अ़न्हुम को उनके बारे में बहुत कुछ मालूम हो गया और बहुत सारी चीजें सीखीं। लिहाज़ा उन्होंने डर और उम्मीद के बीच रहकर जीवन गुजारा जिसकी वजह से उन्हें दुनिया व आखिरत की भलाइयाँ मिलीं। क्योंकि उन्होंने यह अच्छी तरह से जान लिया था कि अल्लाह से किस तरह डरा जाए और उसकी रह़मत व दया से कैसे उम्मीद रखी जाए।
याद रखें कि एक सच्चा मुसलमान कभी अल्लाह की तदबीर से कभी बेखौफ नहीं होता है। बल्कि हर जगह और हर समय उससे डरता रहता है।
सह़ाबा ए किराम रद़ियल्लाहु अ़न्हुम अल्लाह के चुने हुए और पसंदीदा बंदे थे। जब वे नसीहत सुनते थे तो उन्हें ऐसा लगता था कि कयामत आ चुकी है। गुनहगारों के लिए जहन्नुम तैयार है और नेकों और परहेजगारों के जन्नत इंतजार में हैं। अतः मरते दम तक उसी नसीहत की छांव में जीवन बसर करते थे।
इस वसियत की जान, इसका निचोड़ और इसका राज नबी ए करीम सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम के इस फरमान:"छ: चीजों से पहले-पहले नेक काम कर लो।" में है। क्योंकि इस वसियत में ऐसी चीजें हैं जिनका ध्यान रखना बहुत ज्यादा जरूरी है।
पहली चीज: इस उम्मत पर नबी सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम की दया, उसके ईमान पर आपकी ख्वाहिश और उस पर दुनिया और आखिरत के अ़ज़ाब से आपका डर।
दूसरी चीज़: यह है कि मुसलमान को चाहिए कि वह हमेशा कयामत की तैयारी रखे भले ही उसकी नजर में वह अभी दूर हो।
तीसरी चीज: जो मुसलमान अपने दिल में अल्लाह का डर रखता हो उसे चाहिए कि वह बहुत ज्यादा नेक काम करे। क्योंकि वही तो कयामत के दिन उसकी कामयाबी का जरिया हैं और उन्हीं के हिसाब से तो जन्नत में उसके दर्जे बुलंद किए जाएंगे।
चौथी चीज: अल्लाह के अ़ज़ाब से बचाने वाले कामों को पहचानना ताकि बंदा उनमें से बेहतर और अल्लाह को पसंदीदा काम चुनकर उन्हें अंजाम दे सके।
पांचवी चीज: जिसके आने से पहले नबी करीम सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम ने हमें नेक काम करने की वसियत की है वह हमारा निजी मामला यानी मौत है। मौत एक ऐसा प्याला है जिसे सबको पीना है और जिस का मजा चखना है। उसे भूलना खुली गुमराही है। और उससे और उसके बाद के अंजाम से लापरवाही बुद्धि की खराबी और दिल की सख्ती व कठोरता का सबूत है। सबसे बेहतर आदमी वह है जो मौत को सबसे ज्यादा याद करे और उसके बाद की सबसे ज्यादा तैयारी रखे।
छठी चीज: आम लोगों के मामले यानी दुनिया के काम हैं।
लिहाज़ा मुसलमान को चाहिए कि वह जल्दी जल्दी नेक काम कर ले इससे पहले कि लोगों के मामले उसे दुनिया के कामों में व्यस्त कर दें जिनकी वजह से फिर वह बहुत से नेक कामों से महरूम हो जाए। क्योंकि हो सकता है कि उसे कोई ऐसा काम मिल जाए कि अपना ज्यादातर समय उसी में गुजारे जिसकी वजह से वह अपनी वह जिम्मेदारी भी अदा न कर सके जिसके लिए उसे इस दुनिया में पैदा किया गया है यानी अल्लाह की इबादत।
लब्बोलुआब यह है कि यह वसियत हमें उस चीज पर उभार रही है जिसमें हमारी दुनिया और आखिरत की भलाई है। नबी ए करीम सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम का फरमान हमें हर बात और हर काम में संजीदगी बरतने और पूरे हौसले के साथ ऐसे कामों को जल्द करने की तरफ रहनुमाई कर रहा है जिनमें अल्लाह की रजामंदी और खुशी हो कि कहीं ऐसा न हो कि वह दिन आ जाए जिसमें न खरीदारी हो सकती है और न ही कोई दोस्ती काम आएगी। तथा इस वसियत को पढ़ने के बाद दुनिया की आफतें और मुसीबतें आसान हो जाती हैं। इस दुनिया से अलग-थलग होने को जी चाहता है और आखिरत की खोज के लिए हौसला बुलंद हो जाता है। और जिसने भी आखिरत को अपना असली मकसद बना लिया तो यकीनन वही बड़ा कामयाब आदमी है।