1. फोटो एल्बम
  2. (167) तुम में से कोई भी लोगों के डर की वजह से हक़ (सत्य) बात कहने से न रुके।

(167) तुम में से कोई भी लोगों के डर की वजह से हक़ (सत्य) बात कहने से न रुके।

193 2020/10/04
(167) तुम में से कोई भी लोगों के डर की वजह से हक़ (सत्य) बात कहने से न रुके।

عَنْ أَبِي سَعِيدٍ الْخُدْرِيِّ رَضِيَ اللَّهُ عَنْهُ قَالَ: قَالَ رَسُولُ اللَّهِ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ: "أَلَا لَا يَمْنَعَنَّ أَحَدَكُمْ رَهْبَةُ النَّاسِ أَنْ يَقُولَ بِحَقٍّ إِذَا رَآهُ أَوْ شَهِدَهُ؛ فَإِنَّهُ لَا يُقَرِّبُ أَجَلاً، وَلَا يُبَاعِدُ مِنْ رِزْقٍ أَنْ يَقُولَ بِحَقٍّ أَوْ يُذَكِّرَ بِعَظِيمٍ".

तर्जुमा: ह़ज़रत अबू सई़द खुदरी रद़ियल्लाहु अ़न्हु बयान करते हैं कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया:" सुनो! जब तुम में से कोई हक (सत्य) बात देखे या उसकी गवाही देना चाहे तो लोगों का डर उसे हक बयान करने से न रोके। क्योंकि हक बात कहना या अहम चीज याद दिलाना न तो मौत को पास कर सकता है और न ही रोजी में कमी कर सकता है।"

सच्चा मुसलमान वह है जो सत्य और सत्य के लोगों को पहचान कर उनकी सहायता करे, जहाँ कहीं भी हो सत्य की हिफाजत करे, दिन-रात सत्य की तरफ बुलाए, हर समय उस पर जमा रहे और झूठ या गलत को गलत जानकर खुद भी उससे बचे और दूसरों को भी उससे बचने पर उभारे और दुनिया और आखिरत में उसके अज़ाब से उन्हें डराए। क्योंकि सत्य इसके ज्यादा योग्य है कि उसे अपनाया जाए। सत्य के साथ झूठ को कोई जगह नहीं है और न ही सत्य के लोगों पर गलत लोंगो को कामयाबी मिल सकती है। क्योंकि हर जगह और हर समय में सत्य के लोग ही हमेशा कामयाब रहे हैं भले ही उनके सामने इस रास्ते में कुछ दुश्वारियाँ आईं और उन्हें कुछ परेशानियों या मुश्किलों का सामना करना पड़ा लेकिन आखिर में कामयाबी उन्हीं को मिली।

नबी ए करीम सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम की वसियत सत्य के लोगों को इस बात की तरफ बुलाती है कि वह अपने अल्लाह पर पूरा भरोसा रखते हुए और भाग्य पूरा विश्वास और पूरी संतुष्टि जाहिर करते हुए हमेशा सत्य बात कहें भले ही वह कड़वा ही क्यों न हो और जिसका उन्हें ज्ञान हो बिना किसी डर और लालच के उसकी गवाही दें।

नबी ए करीम सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम सल्लम के फरमान:"सूनो! जब तुम में से कोई सत्य बात देखे या उसकी गवाही देना चाहे तो लोगों का डर उसे सत्य बयान करने से न रोके।" का मतलब है कि किसी भी फैसले या मसले में अपनी राय जाहिर करने से उसे कोई चीज न रोके भले ही उम्र में छोटा या धन या वंश में कम हो। क्योंकि हकदार को कहने-सुनाने का अधिकार होता है। और सच्चा मुसलमान वही है जो सत्य की ताकत को अपना हथियार मानते हुए सत्य को सत्य और झूठ को झूठ और गलत को गलत साबित करने के लिए हमेशा कोशिश में रहे और इस मामले में किसी से न डरे। क्योंकि जो अल्लाह से डरता है वह किसी से नहीं डरता है। लिहाज़ा जब उसे सत्य की गवाही के लिए बुलाया जाए तो बिना किसी कमी-ज्यादती के पूरे तौर पर सच्ची गवाही दे।

सत्य की कड़वाहट में बुराई पर उभारने वाले नफ्स, बेहयाई का आदेश देने वाले शैतान मरदूद, भटकाने वाली दुनिया और अंधा और बहरा कर देने वाली ख्वाहिश पर जीत छुपी हुई है। और इस जीत के मजे का एहसास दुनिया का सवाब है जबकि आखिरत का सवाब उससे कहीं बढ़कर है जो कि ऐसी महान जन्नत (स्वर्ग) में दिया जाएगा जिसकी चौड़ाई जमीन और आसमान के बराबर है। लेकिन अफसोस है उन लोगों पर जो केवल दुनिया के चक्कर में इस दोहरे सवाब को खो देते हैं जबकि वे यह भी जानते हैं कि दुनिया खत्म होने वाली और न ठहरने वाली छांव है और इस दुनिया में से इंसान के लिए केवल वही है जो खाकर खत्म कर दे, पहनकर पुराना कर दे, और सदका (दान) देकर अपने लिए इकट्ठा कर ले।

याद रखें कि सच्चा मुसलमान वह है जो पूरे हौसले के साथ सत्य को साबित करने में लगा रहे, उसमें लोगों की खुशी और रजामंदी की परवाह न करें और न ही उनसे डरे। क्योंकि वह भाग्य पर पूरे तौर पर ईमान ला चुका होता है जिसमें शक की कोई गुंजाइश नहीं होती है। अतः उसका मकसद यह होता है कि वह अपनी जिम्मेदारी में रुकावट बनने वाली परेशानी से अपने आप को बचाते हुए हर तरह से हर जगह सत्य का समर्थन करे, उसकी मदद करे, और अपने धर्म, अपनी और मुसलमानों की इज्जत व आबरू की हिफाजत करे।

पैगंबर हज़रत मुहम्मद के समर्थन की वेबसाइटIt's a beautiful day