1. फोटो एल्बम
  2. (171) जिसे पंसद हो कि अल्लाह उसे क़यामत के दिन की कठिनाईयों से सुरक्षित रखे तो वह तंगदस्त (निर्धन) को मोहलत दे या उसका (सारा या) कुछ क़र्ज़ा माफ करदे।

(171) जिसे पंसद हो कि अल्लाह उसे क़यामत के दिन की कठिनाईयों से सुरक्षित रखे तो वह तंगदस्त (निर्धन) को मोहलत दे या उसका (सारा या) कुछ क़र्ज़ा माफ करदे।

285 2020/10/04
(171) जिसे पंसद हो कि अल्लाह उसे क़यामत के दिन की कठिनाईयों से सुरक्षित रखे तो वह तंगदस्त (निर्धन) को मोहलत दे या उसका (सारा या) कुछ क़र्ज़ा माफ करदे।

عَنْ عَبْدِ اللَّهِ بْنِ أَبِي قَتَادَةَ رَضِيَ اللَّهُ عَنْهُ قَالَ: سَمِعْتُ رَسُولَ اللَّهِ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ يَقُولُ: "مَنْ سَرَّهُ أَنْ يُنْجِيَهُ اللَّهُ مِنْ كُرَبِ يَوْمِ الْقِيَامَةِ فَلْيُنَفِّسْ عَنْ مُعْسِرٍ أَوْ يَضَعْ عَنْهُ".

तर्जुमा: ह़ज़रत अ़ब्दुल्लह बिन क़तादह रद़ियल्लाहु अ़न्हु कहते हैं मैंने सुना कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया: "जिसे पंसद हो कि अल्लाह उसे क़यामत के दिन की कठिनाईयों से सुरक्षित रखे तो वह तंगदस्त (निर्धन) को मोहलत दे या उसका (सारा या) कुछ क़र्ज़ा माफ करदे।"

नेकी और परहेजगारी पर मदद करना धर्म के सिद्धांतों में से एक सिद्धांत है जिसमें सभी नेक खूबियाँ आकर इकट्ठा हो जाती हैं, जहाँ तमाम महान अखलाक के सिद्धांत मिलते हैं और जो सारे मोमिन दिलों को इकट्ठा करता है।

आपस में सहायता और मदद एक आदमी और उसके इंसानी भाई के दरमियान होती है जिससे उनमें से हर एक को फायदा पहुंचता है और नुकसान दूर होता है। धर्म दुनिया और आखिरत में लोगों के फायदे के लिए रखा गया है।

जब तक लोग इस्लाम की आत्मा को थामें रहेंगे नेकी और परहेजगारी पर एक दूसरे की मदद करते रहेंगे। लेकिन अगर उनके अंदर धर्म का एहसास कम हो गया, और उनके दिल स्वार्थ की तरफ फिर गए तो न उनमें कोई नेकी रहेगी और न परहेजगारी। तब इंसान अपने आप में तन्हा जिंदगी बसर करेगा। अगर वह बीमार हो या भूखा-प्यासा हो या किसी तकलीफ में हो तो उसे कोई देखने-सुनने वाला नहीं होगा हालांकि वह उसी जमीन पर होगा जो एक बालिश्त बराबर भी अपने आप में व्यस्त इंसान से खाली नहीं होगी।

यह वसियत हमें इस बात की तरफ बुला रही है कि हम लोगों की परेशानियों को दूर करके और उनकी मुसीबतों और तकलीफों को कम करके अपने आप को कयामत की परेशानियों और कठिनाइयों से बचाएं। क्योंकि जैसा काम होता है वैसा ही बदला मिलता है।

जो अल्लाह की रजामंदी के लिए किसी तंगदस्त को कर्ज की अदायगी में मोहलत देकर या उससे कुछ या सारा कर्ज माफ करके उसे खुश करे और उसे यह एहसास दिलाए कि वह इस दुनिया में अकेला नहीं है तो अल्लाह तआ़ला उस नेक काम के बदले उससे बहुत सी तकलीफों को दूर करेगा और बहुत सी परेशानियों से उसे महफूज रखेगा। क्योंकि एक नेकी का दस गुना से लेकर जितनी ज्यादा इमानदारी होती उतना ज्यादा सवाब मिलता है। और इस मामले में वे सब बराबर हैं जो तंगदस्त को माल दें जिससे वह अपना कर्ज अदा कर दे और वे जो उससे कुछ या सारा कर्ज माफ कर दें या उसे कर्ज की अदायगी के लिए मोहलत दे दें।

याद रहे कुछ ऐसे लोग भी हैं जिन पर सदका करना ज्यादा बेहतर है जैसे गरीब, मिस्कीन और इन जैसे दूसरे जरूरतमंद लोग।

बेशक जो तंगदस्त को मोहलत देगा वह नेक और बुद्धिमान लोगों में से होगा। और बुद्धिमान लोग दयालु और बड़े दिल वाले होते हैं। लेकिन याद रहे कि अगर बंदा दयालु है तो उसका अल्लाह उससे कहीं ज्यादा दयालु है। लिहाज़ा जो किसी पर आसानी करे तो क़यामत के दिन अल्लाह उस पर आसानी करेगा।

याद रखें कि नबी ए करीम सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम तंगदस्तों और गरीबों पर सबसे ज्यादा दया व महरबानी करने वाले, दोषियों के साथ सब्र व बर्दाश्त से काम लेने वाले और गलती करने वालों को सबसे ज़्यादा माफ करने वाले आदमी थे।

पैगंबर हज़रत मुहम्मद के समर्थन की वेबसाइटIt's a beautiful day