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(173) तुम में से जो कोई भी अपनी चमक बढ़ा सके तो वह बढ़ा ले। (यानी अच्छी तरह से वुज़ू करे।)
عَنْ أَبِي هُرَيْرَةَ رَضِيَ اللَّهُ عَنْهُ قَالَ: قَالَ رَسُول الله صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ: "إِنَّ أُمَّتِي يُدْعَوْنَ يَوْمَ الْقِيَامَةِ غُرًّا مُحَجَّلِينَ مِنْ آثَارِ الْوُضُوءِ فَمَنْ اسْتَطَاعَ مِنْكُمْ أَنْ يُطِيلَ غُرَّتَهُ فَلْيَفْعَلْ".
तर्जुमा: ह़ज़रत अबू हुरैरा रद़ियल्लाहु अ़न्हु बयान करते हैं कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया: "क़यामत के दिन मेरी उम्मत के लोग वुज़ू के निशानों की वजह से चमकदार माथे और सफेद हाथ-पैर वालों की सूरत में बुलाए जाएंगे। तुम में से जो कोई भी अपनी चमक बढ़ा सके तो वह बढ़ा ले। (यानी अच्छी तरह से वुज़ू करे।)"
वुज़ू छोटी नापाकी से पानी के द्वारा पाकी हासिल करने का नाम है। यह शब्द وضاءت (वद़ाअत) से लिया गया है जिसके माना है प्रकाश, चमक रोशनी और सफाई।
अल्लाह ने वुज़ू को दिल और शरीर दोनों की पाकी के लिए लागू किया है। और नमाज़ और काबे का तवाफ करने (चक्कर लगाने) की शर्तों में से एक शर्त करार दिया है। यह पाकी कयामत के दिन इंसान के लिए प्रकाश होगी जैसे कि इस दुनिया में उसके लिए प्रकाश थी कि जिसकी चमक उसके चेहरे से दिल तक और दिल से चेहरे तक पर जाहिर थी कि जिससे बाहरी और अंदरूनी दोनों एतबार से वह रोशन और चमकदार था।
पहले के पैगम्बर अपने वुज़ू के अंग एक-एक बार धोते थे लेकिन हमारे नबी सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम पवित्रता में ज़्यादती के लिए तीन तीन बार अपने वुज़ू के अंगों को धोते थे जैसा कि बहुत सी ह़दीस़ों में आया है।
वुज़ू से गुनाह माफ होते हैं, पाप मिटाए जाते हैं, सवाब दो गुना कर दिया जाता है, मर्तबे बुलंद होते हैं, यह मुसलमान का हथियार है, इससे शैतानी वसवसे दूर होते हैं, तथा वुज़ू की हालत में मुसलमान ऐसा चैन और दिली इत्मीनान व सुकून तथा चुस्ती महसूस करता है जो बिना वुज़ू के कभी नहीं कर पाता है। और वुज़ू से गुस्सा भी खत्म होता है तथा उसकी चमक मुसलमान के चेहरे पर जाहिर होती है।
जो कयामत के दिन अपनी चमक और सफेदी को बढ़ाने के लिए अच्छी तरह पूरा बुजु करे उसके लिए इस वसियत में एक महान खुशखबरी सुनाई गई है।
तथा ऐसे वुज़ू की वजह से नबी सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम क़यामत के दिन दूसरी उम्मतों के सामने अपनी उम्मत पर गर्व करेंगे और सारी उम्मतों के बीच से अपनी उम्मत को वुज़ू की चमक से पहचान लेंगे जिससे उनके चेहरे व (हाथ) पैर रोशन व चमकदार होंगे और यह प्रकाश और चमक उन्हें दुनिया में नमाज़ के लिए अच्छी तरह वुज़ू करने से हासिल होगी।