1. फोटो एल्बम
  2. (184) आपसी फूट और नफरत व दुश्मनी से बचो।

(184) आपसी फूट और नफरत व दुश्मनी से बचो।

371 2020/10/04

عَنْ أَبِي هُرَيْرَةَ رَضِيَ اللَّهُ عَنْهُ أَنَّ النَّبِيَّ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ قَالَ: "إِيَّاكُمْ وَسُوءَ ذَاتِ الْبَيْنِ فَإِنَّهَا الْحَالِقَةُ".

तर्जुमा:ह़ज़रत अबू हुरैरा रद़ियल्लाहु अ़न्हु बयान करते हैं कि नबी ए करीम सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया: "आपसी फूट और नफरत व दुश्मनी की बुराई से बचो। क्योंकि यह (धर्म को) मूंड़ने वाली है।"

रिश्तेदारी व संबंध निभाना धर्म के उसूलों में से एक अस्ल और ईमानी शाखाओं में से एक शाखा है तथा यह दिल की सलामती, सही ईमान और सच्चे विश्वास का सबूत है। और यह एक ऐसी आदत है जो आदमी को संवारती है और उसके परिवार वालों, रिश्तेदारों, पड़ोसियों और उससे संबंध रखने वालों के बीच उसका सम्मान बढ़ाती है। कोई आदमी उससे बेहतर नहीं जो अपने रिश्तेदारों और दोस्तों के साथ संबंध निभाए, उनके साथ अच्छा व्यवहार करे, उनके साथ नरमी से पेश आए और उनके लिए उसी तरह भलाई पसंद करे जैसे कि वह अपने लिए करता है। क़ुरआन शरीफ ने बहुत सी आयतों में संबंध निभाने का आदेश दिया है और उसके तोड़ने से मना किया है। इसी तरह नबी सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम ने भी इतनी ज्यादा ह़दीस़ों में संबंध निभाने का आदेश दिया है कि इसके दुश्मन भी मुश्किल से उन्हें गिन पाएंगे।

नबी ए करीम सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम का यह फरमान: "आपसी फूट और नफरत व दुश्मनी की बुराई से बचो। क्योंकि यह (धर्म को) मूंड़ने वाली है।" बुरे व्यवहार, बुरी सोच और बुरे शक के द्वारा उस संबंध को तोड़ने से चेतावनी है जिसके जोड़ने का अल्लाह ने आदेश दिया है।

संबंध कई प्रकार के होते हैं जैसे रिश्तेदारी, पड़ोस, दोस्ती, काम में साथी होना और अन्य समाजिक संबंध। इन संबंधों में सबसे बड़ा संबंध ईमानी भाईचारा है। क्योंकि यही ह़ज़रत आदम अ़लैहिस्सलाम (अल्लाह की उन पर कृपा हो।) से लेकर क़यामत तक आने वाले अल्लाह के नेक बंदो और कलिमह "ला इलाहा इल्लल्लाहू " की सारी उम्मत के दरमियान एक मजबूत बंधन है। और संबंध या रिश्तेदारी या खूनी रिश्ता इस ईमानी भाईचारे की जड़ों को अधिक मजबूत बना देता है। और फिर उसका एक अलग ही मजा होता है। क्योंकि उस समय हर एतबार से हमदर्दी और संबंध जमा हो जाते हैं कि कहा जाता है कि वह उसका ईमानी भाई भी है, खूनी भाई भी है और संबंध में भी भाई है।

पड़ोस का रिश्ता खूनी रिश्ते की तरह होता है। लिहाज़ा अगर किसी जगह मुसलमान एक दूसरे के पड़ोस में रहते हों और उनके दरमियान खूनी रिश्ता भी हो तो वे सब एक जान की तरह है जिन्हें हर ऐतबार से नजदीकी और मोहब्बत के संबंध घेरे हुए हैं। लिहाज़ा उनकी शान यह होनी चाहिए कि वे अपनी सारी आपसे बुराइयों को सुधारें और उस धर्म के मुताबिक अपनी जिंदगी बसर करें जो अल्लाह ने उनके लिए पसंद किया है, जिस पर उन्हें पैदा किया है और जिसके सदके में उन्हें अपनी इबादत के लिए चुना है।

याद रखें कि यह इस्लाम धर्म एक मजबूत बंधन है जो कभी नहीं टूटेगा और जिसको थामने वाले कभी अलग नहीं होंगे और न ही उनकी जिंदगियाँ बेकार होंगी। क्योंकि उनका आपसी संबंध और लगाओ उनके ईमान के सही होने और विश्वास के सच्चा होने का सबूत है। और सुन लो की एकता उनकी ताकत है और फूट उनकी कमजोरी है। तथा अल्लाह के आदेशों को मजबूती से थामना उनकी शक्ति और हिदायत का रास्ता है। और क़ुरआन और ह़दीस़ को पकड़े रहना ही उनके भाईचारे की बुनियाद और उनकी जिंदगी का तौर तरीका है। लिहाज़ा उन्हीं को मजबूती से थामे रहने में उनकी हर बुराई से निजात (मुक्ति) है।

पैगंबर हज़रत मुहम्मद के समर्थन की वेबसाइटIt's a beautiful day