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(191) बर्तन ढक दिया करो। मटके (पानी का बर्तन) का मुँह बंद कर दिया करो। चिराग (दीपक) बुझा दिया करो। और दरवाज़ा बंद कर दिया करो।
عَنْ جَابِرِ بْنِ عَبْدِ اللَّهِ رَضِيَ اللَّهُ عَنْهُ أَن رَسُولِ اللَّهِ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ قَالَ: "غَطُّوا الْإِنَاءَ، وَأَوْكُوا السِّقَاءَ، وَأَغْلِقُوا الْبَابَ، وَأَطْفِئُوا السِّرَاجَ؛ فَإِنَّ الشَّيْطَانَ لَا يَحُلُّ سِقَاءً، وَلَا يَفْتَحُ بَابًا، وَلَا يَكْشِفُ إِنَاءً، فَإِنْ لَمْ يَجِدْ أَحَدُكُمْ إِلَّا أَنْ يَعْرُضَ عَلَى إِنَائِهِ عُودًا، وَيَذْكُرَ اسْمَ اللَّهِ فَلْيَفْعَلْ؛ فَإِنَّ الْفُوَيْسِقَةَ تُضْرِمُ عَلَى أَهْلِ الْبَيْتِ بَيْتَهُمْ".
तर्जुमा: ह़ज़रत जाबिर बिन अ़ब्दुल्लह रद़ियल्लाहु अ़न्हु बयान करते हैं कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया: "बर्तन ढक दिया करो। मटके (पानी का बर्तन) का मुँह बंद कर दिया करो। चिराग (दीपक) बुझा दिया करो। और दरवाज़ा बंद कर दिया करो। क्योंकि शैतान (मुँह बंद मटके) और बंद दरवाजे को नहीं खोलता है और न ही (ढके हुए) बर्तन को खोलता है। अगर किसी को बर्तन पर ढकने के लिए लकड़ी के अलावा कोई चीज़ न मिले तो उसे ही अल्लाह का नाम लेकर रख दे। (और चिराग बुझा दिया करो।) क्योंकि छोटी दुष्ट चुहिया घर को आग लगा कर (घर और घर वालों को) जला देती है।"
यह वसियत स्पष्ट रूप से हमें यह बताती है कि सावधानी बरतना जरूरी है और यह कि जिस मामले में भी नुकसान का खतरा हो उसमें जरूर सावधानी बरती जाए। क्योंकि सावधानी बरतने से अल्लाह ने चाहा तो वह आदमी उस नुकसान से महफूज रहेगा जिसका अंदेशा व खतरा है। लिहाज़ा इंसान को जिन जो साधनों या कारणों का पालन करना चाहिए उनमें से एक यह भी है कि वह सावधानी बरते और फिर उसके बाद अल्लाह की कृपा और दया पर भरोसा करके काम को शुरू कर दे।
जाहिर में ऐसा लगता है कि यह वसियत केवल गांव और देहात के लिए है और इससे केवल वहीं के लोग फायदा उठा सकते हैं। लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं है क्योंकि अगर गौर किया जाए तो पता चलेगा कि गांव वालों से ज्यादा शहर वाले इस वसियत से फायदा उठा सकते हैं। क्योंकि बर्तन ढकने से खाना-पानी आदि गाड़ियों(वाहनों), फैक्ट्रियों और कारखानों आदि के धुएं, गैस और बदबूदार हवाओं से प्रदूषित होने (मिलने) से बचा रहेगा। और इसी तरह खतरनाक कीटाणुओं और हानिकारक कीड़ों से सुरक्षित रहेगा। और कहावत है कि परहेज इलाज से बेहतर है।
और पानी के बर्तन ढकना और उनका मुंह बंद करना शहरी सभ्यता, संस्कृति, तहज़ीब भी है। क्योंकि पानी में भी वे उल्लिखित चीजें मिल सकती हैं जो खाने में पढ़ती हैं। लिहाज़ा उसकी सफाई की भी हर चीज से हिफाज़त जरूरी है। यह एक बेहतरीन काम है जिसकी रहनुमाई में इस्लाम सबसे आगे है। आइए इसे आज के समय के लिहाज से समझते हुए इससे लाभ उठाएं। तो आज के समय में मटके बंद करने ही जैसा है पानी की बोतलों, टंकियों और टोटिंयों को बंद करना ताकि उनसे पानी बहकर बर्बाद न हो और अन्य खतरे भी न हों।
हमें यह भी याद रखना चाहिए कि इस्लाम हर चीज में संतुलन अपनाने को कहता है खासकर पानी के इस्तेमाल में। क्योंकि पानी ही पर जीवन आधारित है।
नबी ए करीम सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम का फरमान: "और दरवाजा बंद कर दिया करो।" ऐसे काम का आदेश है कि जिसे जरूरी तौर पर सब लोग जानते हैं। इसकी वसियत की जरूरत नहीं है। लेकिन चूंकि इंसान की फितरत भूलना है और कभी-कभार दरवाजा बंद करना भी भूल जाता है या अपने दिल में यह कहकर बंद करने में सुस्ती कर जाता है कि सब तो ठीक है, हर जगह शांति है, अल्लाह हिफाजत फरमाए आदि आदि शब्द कहता है जो सावधानी बरतने के खिलाफ होते हैं। याद रखें कि दरवाजा बंद करने से घर वाले को बहुत ज्यादा शांति और सुरक्षा महसूस होती है। फिर वह चैन की नींद सोता है। लिहाज़ा इस मामले में लापरवाही नहीं बरतना चाहिए। और चिराग बुझाना यह उन जरूरी चीजों में से है जिनका सोते समय हमें जरूर ख्याल रखना चाहिए खासकर जब वह तेल आदि से जलता हो। क्योंकि अंधेरे में चैन की नींद आती है जिससे इंसान अपनी शारीरिक और मानसिक परेशानियों को भूल जाता है और उसे थोड़ा बहुत आराम मिल जाता है।