सामग्री
जो भी लोगों को नमाज़ पढ़ाए तो वह नमाज़ छोटी पढ़ाए
तुम में से जो भी बुराई को देखे तो वह उसे बदले (यानी रोके)
तुम अपनी फिफ्र रखो
( दुसरों को ) जगह दो अल्लाह तुम्हें जगह देगा।
रास्तों पर बैठने से बचो।
तुम में से कोई भी किसी भी अच्छाई (व भलाई) को कम ना समझे
जो लोगों के हाथों में (माल व दौलत) है उसकी इच्छा मत रखो
तुम्हें क़ुरआन खुब ज़्यादा पढ़ते रहना चाहिए
तुम में से कोई जब किसी ऐसे व्यक्ति को देखे जो माल व दौलत और खू़बसूरती (सुन्दरता) में उससे अच्छा है, तो उसे अपने से नीचे वाले को (भी) देखना चाहिए
(1) पहली वसियत: शादी में आने वाले लोग दूल्हा-दुल्हन के लिए दुआ़ करें
(2) दूसरी वसियत: सुहागरात को दूल्हा के लिए दुआ़ करें
(3) तीसरी वसियत: विवाह में जायज़ खेल कुद करना
(4) चौथी वसियत: विवाह का एलान करना और उस में दफ़ बजाना।
विवाह में खेल कूद के बारे में कुछ चेतावनी
(6) छटी वसियत: पत्नी के साथ अच्छा व्यवहार करना।
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