सामग्री
(21) इक्कीसवीं वसियत: " सतर " (अर्थ: छुपाना यानी शरीर का वह विशेष
(22) एक मुस्लिम पति अपनी पत्नी के साथ सम्भोग करने के बाद जब दोबारा करना चाहे तो उसके लिए मुस्तह़ब (यानी बेहतर)है कि वह पहले वुज़ू करले।
(23) मुस्लिम पति - पत्नी सम्भोग करने के बाद अगर जनाबत (नापाकी की ऐसी स्थिति जिसमें गुस्ल करना (यानी नहाना) अनिवार्य व फ़र्ज़ है) की स्थिति में ही सोना चाहें तो उनके लिए मुस्तह़ब (बेहतर) यह है कि वे वुज़ू करलें। (और फिर सोएं) इसकी शिक्षा व आदेश नबी सल्लल्ल
(24) चोबीसवीं वसियत: अंतरंग (यानी सम्भोग व बेडरूम) रहस्यों व राज़ों को दूसरों से ना बताए।
(25) पति - पत्नी के लिए अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम की वसियतों में से एक वसियत यह है कि वे शुक्रवार को अंतरंग (शरीरिक )
(26) छब्बीसवीं वसियत: पति-पत्नी का एक साथ स्नान करना जायज़ है
(27) सत्ताईसवीं वसियत: माहवारी में सम्भोग न करने की वसियत।
(28) अट्ठाईसवीं आज्ञा: मासिक धर्म के दौरान संभोग को समाप्त करने की आज्ञा
मासिक धर्म के दौरान संभोग करने पर प्रतिबंध के कारण और रहस्य व राज़।
(29) शादी के अगले दिन अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम ने एक पति को जिन चीज़ों की वसियत की है उनमें से एक यह है कि वह अपने महमानों का स्वागत करे उन्हें सलाम करे और उनके लिए भलाई की दुआ़ करे।
(30) तीसवीं वसियत: सुहागरात की सुबह में वलीमा करने की वसियत
(31) इक्कतीसवीं वसियत: बुराइयों से युक्त वलीमों (दावतों) में न जाए
आखरी वसियत:जो महमान वलीमों(शादी की दावतों) में आएं उनके लिए क्या
अल्लाह से दुआ़ मांगो और इस यक़ीन के साथ मांगो कि तुम्हारी दुआ़ जरूर कबूल होगी।
"अल्लाह की पनाह (शरण) मांगा करो आज़माइश (आफत) की दुश्वारी से
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