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सुतरा या आड़ के बारे में कुछ विषय
सुतरा या आड़ के बारे में कुछ विषय:
१ – कोई भी चीज़ जो नमाज़ पढ़ने वाले के सामने काअबा की दिशा में खड़ी हो वह आड़ समझी जा सकती है जैसे दीवार, छड़ी या खम्भा, सुतरा की मोटाई केलिए कोई सीमा नहीं रखी गई है.
२ – लेकिन सुतरा की ऊँचाई ऊंट के ऊपर रखे जाने वाले काठी के कजावे के पिछले भाग के बराबर होनी चाहिए यानी लगभग एक बालिश्त.
३- सुतरा और नमाज़ पढ़ने वाले के बीच की दूरी लगभग तीन गज़ होनी चाहिए या इतनी दूरी होनी चाहिए कि उसके बीच सजदा संभव हो.
४ – सुतरा तो इमाम और अकेले नमाज़ पढ़ने वाले दोनों के लिए है, चाहे फ़र्ज़ नमाज़ हो या नफ्ल.
५ - इमाम का सुतरा ही उनके पीछे नमाज़ पढ़ने वालों के लिए भी आड़ है, इसलिए जरूरत पड़ने पर उनके सामने से गुज़रने की अनुमति है.
सुतरा (या आड़) की सुन्नत पर अमल करने के परिणाम:
क) यदि सामने से नमाज़ को तोड़ने वाली या उसमें गड़बड़ी डालने वाली कोई चीज़ गुज़रे तो सुतरा नमाज़ को टूटने से बचाता है.
ख) सुतरा नज़र को इधरउधर बहकने और ताक-झांक से बचाता है, क्योंकि सुतरा रखने वाला अक्सर अपनी नज़र को अपने सुतरे के भीतर ही रखता है, और इस से उसका विचार नमाज़ से संबंधित बातों में ही घूमता है.
ग) सुतरा सामने से गुज़रने वालों को सामने से गुज़रने का अवसर उपलब्ध करता है, इसलिए बिल्कुल उसके सामने से गुज़रने की ज़रूरत बाक़ी नहीं रह जाती है.