1. सामग्री
  2. पैग़म्बर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम और महिला का सम्मान
  3. पैग़म्बर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम और महिला का सम्मान-3

पैग़म्बर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम और महिला का सम्मान-3

सल्लम से जो बात सुनी थी उस को बताया।

इस प्रकार पैग़म्बर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने अपने साथियों को महिलाओं के साथ अच्छे रहन-सहन, उनके साथ हमदर्दी करने,  उन के साथ शफक़त व मेहरबानी का बर्ताव करने,  उन्हे नाना प्रकार की भलार्इयां पहुंचाने और परम्परा के अनुसार उन पर खर्च करने की शिक्षा दी।

तथा आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने यह स्पष्ट कर दिया कि महिलाओं के साथ अच्छा रहन-सहन आदमी के आत्मा की शराफत और उसके स्वभाव की उदारता का प्रमाण है। आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया:

''तुम में से सर्व श्रेष्ठ आदमी वह है जो अपनी औरतों के लिए सब से अच्छा हो।“ (अहमद, त्रिमिज़ी। )

तथा आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने आदमी को अपनी बीवी से द्वेष -बुग़्ज़- रखने से रोका है। आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया:

''कोर्इ मोमिन पुरूष किसी मोमिन स्त्री से कपट (द्वेष ) न रखे,  यदि उसका कोर्इ स्वभाव उसे नापसन्द हो,  तो उसके किसी दूसरे स्वभाव से वह प्रसन्न हो जायेगा।“ (मुस्लिम )

इस प्रकार पैग़म्बर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने मर्दों को इस बात का आदेश दिया है कि औरत के अन्दर मौजूद अच्छे गुणों और सराहनीय स्वभाओं को तलाश करें, औ त्रुटियों तथा अस्वीकारनीय पहलुओं से अपेक्षा करें। क्योंकि अस्वीकारनीय स्वभाव को खोजना और देर तक उस के पीछे पड़े रहना पति-पत्नी के बीच घृणा और द्वेष को जन्म देता है।

तथा पैग़म्बर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने औरतों को मारने-पीटने से रोका है, आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का फर्मान है:

''अल्लाह की बनिदयों को न मारो।“ (अबू दाउद)

तथा आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने औरतों को कष्ट पहुंचाने वालों को धमकी दी है। आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया:

''ऐ अल्लाह मैं दो कमज़ोर वर्ग : यतीम -अनाथ- और स्त्री के अधिकार के अनुपालन को गुनाह और आपतित जनक घोषित करता हूं।“ (अहमद, इब्ने माजा )

इसका अभिप्राय यह है कि जो इन दोनों वर्गों पर अत्याचार करे गा, अल्लाह तआला उसे क्षमा नहीं करे गा, बल्कि वह दुनिया व आखिरत (लोक एंव प्रलोक) में गुनाह और यातना का पात्र है।

तथा पैग़म्बर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने मर्दों को बीवियों के भेदों को प्रकाशित करने से रोका है,  इसी प्रकार बीवियों को भी अपने पतियों के भेदों को खोलने से मनाही की है। आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया:

''अल्लाह के निकट कि़यामत के दिन सब से बुरा पद वाला वह व्यकित है जो अपनी पत्नी से सहवास करता है और वह उस से सहवास करती है,  फिर वह उस के भेद को प्रकाशित कर देता है।“ (मुस्लिम )

पैग़म्बर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के स्त्री का सम्मान करने का एक रूप यह भी है कि आप ने पतियों को पत्नियों के बारे में बदगुमानी करने और उन की त्रुटियों को टटोलने से रोका है। जाबिर रजि़यल्लाहु अन्हु फरमाते हैं:

''पैग़म्बर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने मर्द को इस बात से रोका है कि वह रात के समय अचानक अपनी बीवी के पास आ धमके; ताकि वह उनकी चौकीदारी करे, या उनकी त्रुटियों को टटोले।“ (बुखारी एंव मुस्लिम )

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