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  2. इस्लाम कृपा एंव दया का धर्म
  3. इस्लाम कृपा एंव दया का धर्म- 1

इस्लाम कृपा एंव दया का धर्म- 1

अल्लाह के नाम से आरम्भ करता हूँ जो अति मेहरबान और दयालु है।

सभी प्रशंसायें  अल्लाह रब्बुल आलमीन के लिए हैं और दरूद व सलाम हो हमारे नबी मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पर जिन को पूरी दुनिया के लिए रहमत बनाकर भेजा गया, और उनकी संतान और उनके सभी साथियों पर।

सन्देष्टा हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को क्यों भेजा गया?

क्या उन को मानवता को यातना देने के लिए भेजा गया?

क्या उन को मानवता को नष्ट करने के लिए भेजा गया?

क्या लोगों से उन के अविश्वास  तथा शत्रुता का बदला लेने के लिये भेजा गया?

इन सारे प्रश्नों  का उत्तर अल्लाह तआला का यह कथन दे रहा है:

وَمَا أَرْسَلْنَاكَ إِلاَّ رَحْمَةً لِلْعَالَمِينَ (الأنبياء: 107).

''तथा हम ने आप को पूरी दुनिया के लिए रहमत बना कर भेजा है।"

 (सूरतुल अंबिया:107)

यही दूतत्व का उद्देश्य तथा अवतरण का अभिप्राय तथा नुबुव्वत का मक़सद है।

नि:सन्देह मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम अल्लाह की ओर से पथ भ्रष्ट तथा आश्चर्य चकित मानवता के लिए अनुकम्पा हैं।

अल्लाह तआला का कथन है:

فَبِمَا رَحْمَةٍ مِنْ اللَّهِ لِنْتَ لَهُمْ وَلَوْ كُنْتَ فَظًّا غَلِيظَ الْقَلْبِ لاَنْفَضُّوا مِنْ حَوْلِكَ (آل عمران: 159).

''अल्लाह की रहमत के कारण आप उन पर नरम दिल हैं, यदि आप बद ज़ुबान और सख्त दिल होते तो यह सब आप के पास से छट जाते।" (सूरत आल-इम्रान:159)

यदि आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम कठोर हृदय वाले होते तो अल्लाह तआला का संदेश पहुँचाने के लिए अनुचित होते और जब हम ने आप को संदेश्वाहक बनाया तो सन्देष्टा के लिए अनिवार्य है कि वह कृपालू, दयावान, विषाल हृदय वाला, सहनशील तथा बहुत धैर्यवान और संतोषी हो।

नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया:

''ऐ लोगो ! मैं रहमत तथा दया बनाकर भेजा गया हूँ। (इब्ने सअद ने इस का वर्णन किया है और अल्लामा अलबानी ने इस के षवाहिद के आधार पर इसे हसन क़रार दिया है।)

  • तथा इतिहास लेखकों ने आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की विशेषताओं  के विषय में लिखा है कि:

    • आप बीवी बच्चों के संबंध में लोगों में सब से बढ़ कर दयालू थे। (सहीहुल जामे)

    • आप दयालू थे,   आप के पास जो भी आता था उस से वायदा करते थे (यदि आप के पास वह चीज़ नहीं होती) और अगर वह वस्तु आप के पास होती तो आप उसे आप पूरा करते थे।  (सहीहुल जामे)

 

 

 

                

 

 

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