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बलिदान की कहानी
क्या आप जानते हैं कि पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के पिता अब्दुल्लाह बलि चढ़ने वाले थे?
अब्दुल मुत्तलिब पर कर्इ साल बीत गए, अल्लाह ने उनकी दुआ को स्वीकार कर लिया, और उनकी अभिलाषा पूरी कर दी। चुनाँचे आपको दस बेटे प्रदान किए। उन्हें अल्लाह की नेमत का एहसास हुआ और वह बहुत प्रसन्न हुए। क्योंकि उनके बच्चे उनकी सहायता करेंगे, और उनके सहायक बनेंगे। इसलिए कि जाहिलियत के समय काल में शक्ति ही उनपर राज और शासन करती थी। शक्ति वाला कमज़ोर को खा जाता था। परंतु अब्दुल मुत्तलिब के चेहरे पर शोक छा गया। उन्हों ने अपनी मन्नत और इस वादा को याद किया कि यदि अल्लाह ने उन्हें दस बेटे प्रदान कर दिए तो वह अपने एक बेटे को बलिदान कर देंगे। अब्दुल मुत्तलिब ने अपने एक बच्चे को बलि देने का फैसला कर लिया, जैसाकि उन्हों ने अल्लाह से इसका वादा किया था। वह सोच विचार करने लगे कि अपने बच्चों में से किसे क़ुर्बान करें ? परंतु उन्हों ने इस मामले को अल्लाह पर छोड़ दिया। उन्हों ने अपने बेटों के बीचे क़ुर्आ अंदाज़ी की, लेकिन बड़े आश्चर्य का सामना हुआ, उनके सबसे छोटे और सबसे चहेते बेटे अब्दुल्लाह के नाम का क़ुर्आ निकला। चुनाँचे उन्हों ने दुबारा क़ुर्आ निकाला, परंतु प्रति बार अब्दुल्लाह के नाम का ही क़ुर्आ निकलता था।